सजल
मात्रा – 14
समांत – नहीं
पदांत — आरी
222 222 2
शिव की शोभा है न्यारी ।
छवि लगती कितनी प्यारी ।।
मस्तक पर चंदा चमके ।
शीतल गंगा सिर धारी ।।
ग्रीवा में विषधर लिपटा ।
हाथ त्रिशूल भयंकारी ।।
नंदी पर चढ़ते भोले ।
भक्तों के है शुभ कारी ।।
देव सभी पूजें इनको ।
शिव की महिमा है भारी ।।
शिव कल्याण सदा करते ।
है दुनिया दुख की मारी ।।
सुधीर कुमार , किशनगंज , बिहार
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