सबको गले लगाएँ हम – राम किशोर पाठक

ram किशोर

विधा: गीतिका

भटके को राह दिखाएँ हम,
सबको गले लगाएँ हम।
कलुष भाव के घोर तिमिर में,
प्रेम-पुंज फैलाएँ हम।।
दुष्कर्मों का गंध भरा है,
कर्म-पुष्प विकसाएँ हम।
जो मानवता भूल रहे हैं,
उनको पाठ पढ़ाएँ हम।।

धरती को भी होती पीड़ा,
इसका बोध कराएँ हम।
भटके को राह दिखाएँ हम,
सबको गले लगाएँ हम।।

नन्हें परिंदें कोमल प्यारे,
उनको बाज बनाएँ हम।
दूर क्षितिज में खुशबू फैले,
खुद उपवन बन जाएँ हम।।
श्रेष्ठ जनों को आदर देकर,
अपना मान बढ़ाएँ हम।
आपस में हम हाथ मिलाकर,
मुश्किल से लड़ जाएँ हम।।

जीवन सबका सुखमय हो तो,
गीत खुशी के गाएँ हम।
भटके को राह दिखाएँ हम,
सबको गले लगाएँ हम।।

राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज, पटना

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