वाह रे इंसान.. जैनेंद्र प्रसाद रवि

वाह रे इंसान *****************धन-दौलत सब माल-खजाना यहीं धरा रह जाएगा,खाली हाथ तू आया बंदे खाली हाथ ही जाएगा।मूर्ति की पूजा करता है माता-पिता से प्यार नहीं, पद-पैसा पा इतराता है…

गौरव..रामकिशोर पाठक

नाभा छंद २११-१११, २२२-२२ गौरव क्षणिक, पाना क्यों चाहें।कौन बरबस, फैलाता बाहें।।चाहत अगर, मैला हो तेरा।अंतस गरल, फैलाए डेरा।। सुंदर सृजन, होते हैं ज्यों ही।वंदन नमन, पाते हैं त्यों ही।।भक्ति…

सर्दी आई

सर्दी आई । सर्दी आई, सर्दी आई ,लेकर कंबल और रजाई ।स्वेटर , कोट और शॉलों ने,सबको दी पूरी गरमाई । पर्वत – पर्वत बर्फ गिराती,ठंडी – ठंडी हवा चलाती…

आप संग रहें -रामकिशोर पाठक

आप संग रहे- छंद वार्णिक २१२-११२, २२१-२१ अंग-अंग कहे, पाया निखार। आप संग रहे, भाया विचार।। भूल चूक किया, स्वीकार नित्य। नेह युक्त अदा, आभार कृत्य। चाहते हम है, लाना…

आभूषण -रामपाल प्रसाद सिंह

मनहरण घनाक्षरी आभूषण कंदरा गुफाओं बीच,नारी रही नर खींच, कल्पना में डूबा नर ,नारी को सजाने में। पत्थरों को घिसकर,भावना से प्रेमभर, पहला ही आभूषण,आया था जमाने में। बना प्यार…

आभूषण -जैनेन्द्र प्रसाद रवि

आभूषण मनहरण घनाक्षरी छंद सदियों से मानव को, लुभाता है चकाचौंध, नर-नारी सभी को ही, आभूषण भाता है। सभी धनवान लोग, करते हैं खरीदारी, जान से भी ज्यादा प्यारा, जैसे…

श्यामला सवारियां -जैनेंद्र प्रसाद रवि

श्यामला सांवरिया एक दिन श्यामा प्यारी, साथ में सहेली सारी, पानी भरने को गई, गोकुल नगरिया। पहले तो घबराई, फिर थोड़ी सकुचाई, पकड़ लिया जो हाथ , सांवला सांवरिया। हार…