गंगा दशहरा – द्विगुणित सुंदरी छंद गीत – राम किशोर पाठक

गंगा दशहरा – द्विगुणित सुंदरी छंद गीत मास ज्येष्ठ दशमी को, गंगा भू पर आना। आज दशहरा गंगा, जन-जन में कहलाना।। वंश इक्ष्वाकु जाने, राजा सगर बखाने। अश्वमेध का घोड़ा,…

सीख- विजात छंद मुक्तक – राम किशोर पाठक

सीख- विजात छंद मुक्तक सदा वाणी सहज बोलें। नहीं विद्वेष को घोलें।। अगर कोई सताए तो। नहीं चुपचाप से रो लें।। अभी बचपन सुहाना है। सभी सपने सजाना है।। दबे…

गरल सहज जो पी लेते हैं – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

गरल सहज जो पी लेते हैं मधुर सुधा रस पी लेते हैं, बोलो देखा है कल किसने, प्रतिपल जीवन जी लेते हैं, आओ थोड़ा जी लेते हैं। बैठे गुमसुम गुमसुम…

मेरी लेखनी – भूषण छंद गीत – राम किशोर पाठक

मेरी लेखनी – भूषण छंद आधारित गीत उठा लेखनी लिखते हम, सदा सत्य को करें प्रबल। सभी यहाँ खुश होते कब, लगे कभी मुश्किल सा पल।। झूठ परोसें कहीं अगर,…

रोकती बीमारियाँ – मनहरण घनाक्षरी

रोकती बीमारियाँ।- मनहरण घनाक्षरी उम्र किशोरी का आया, सौगात नयी है लाया, अंग-अंग है मुस्काया, बढ़ी जिम्मेदारियाँ। प्रजनन की तैयारी, शुरू हुई माहवारी, सहती है दर्द भारी, सदा सभी नारियाँ।…

संख्या का ज्ञान करें प्रदान- गीतिका – राम किशोर पाठक

संख्या का ज्ञान करें प्रदान- गीतिका छंद बच्चे कोरे कागज जैसे। संख्या ज्ञान कराएँ कैसे।। अंक शून्य से नौ तक रहता। संख्याओं का मेला लगता।। बच्चे इनको समझ न पाते।…

संस्कारों का संगम- सुरेश कुमार ‘गौरव’

“संस्कारों का संगम” संयुक्त कुल की छाया में, बचपन बुनता स्वप्न सुनहरे। दादी की गाथा, दादा की सीख, संस्कार बिखरें प्रेम मनहरे। चाचा की डाँट, चाची का स्नेह, सब मिलकर…