स्वयं की पहचान-मधुमिता

स्वयं की पहचान क्या कभी पहचाना स्वयं को? कौन हैं हम? भूलकर स्वयं को आत्मा देहाभिमान में ढूंढे, कौन है परमात्मा? देह नही तू देही है, मिलेंगे कैसे वो? परमात्मा…

मोक्ष की प्रतिक्षा-अवनीश कुमार

मोक्ष की प्रतीक्षा थक जाता जब मानव का तन मन ईश्वर से मोक्ष दिलाने को करता नमन लेकिन आत्मा है उसे पुकारती, उसे धिक्कारती   क्या चलने के पहले कुछ…

गाँधी को गढ़ना होगा-स्नेहलता द्विवेदी आर्या

गाँधी को गढ़ना होगा मानवता के मनोभाव को निर्मल से करने के लिए, मधुर जीवन के सरस भाव को अमृतमय करने के लिए, समभाव और सहजयोग में मानव को रचने…