विकास की मार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

चहुओर चकाचौंध दिवाली की रात है। सफाई के साथ लाई खुशी की सौगात है।। बल्बों की लड़ियों से घरों को सजाते हैं। दरवाजे और दीवारों पर रंगोली बनाते हैं।। रोशनी…

दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

दीप जलें जब द्वार पर, मिलता नवल प्रकाश। खुशियाँ अंतस् तब मिलीं, हुआ तिमिर का नाश।। दीप अवलि में सज उठे, करते तम को नष्ट। दीन-हीन को देखकर, हरिए उनके…

केवल प्रकाश है – एस.के.पूनम

प्रिय दीप बनकर, हिया करे जगमग, शेष नहीं अब दंभ,केवल प्रकाश है। नित्य दीया जल कर, बिखरने लगी आभा, उज्जवल धरा नीचे,ऊपर आकाश है। परछाईं बन कर, साथ देना उम्रभर,…

दीपावली – एस.के.पूनम

शीतल कार्तिक मास, आशाओं के फूल खिले, करें अब खरीदारी,कई मिले हैं संदेश। बाजारों में भीडभाड़, खरीदारों की कतारें, चकाचौंध होती आँखें,करें पालन निर्देश। सात समंदर पार, रहता है परिवार,…

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