संस्कार संस्कारों की छाँव में बड़े-बुजुर्गों की पाँव में मिल रहे सदाचरण अब भी गाँव में। संस्कारों की थाती अब भी बसती है गाँव में, ममत्व, प्रेम, त्याग, स्नेह, अर्पण…
मेरा नाम बिहार हुआ-एम एस हुसैन
मेरा नाम बिहार हुआ 1912 में मैं पैदा हुई जन्म स्थल बंगाल हुआ लोगों से मैं मिली जुली इसी तरह मेरा प्रचार हुआ मेरे पास बहुत बौद्ध भिक्षु रहते हाँ…
बचपन का वो जमाना-एम एस हुसैन
बचपन का वो जमाना आता है याद मुझको बचपन का वो ज़माना । कॉपी किताब लेकर घर से स्कूल जाना ।। उस वक्त की शोखियाँ भी थी अजब निराली ।…
जनसंख्या-अश्मजा प्रियदर्शिनी
जनसंख्या एक अरब सैतिश करोड़ की जनसंख्या वाला है हमारा नेशन 17.64 के दर से बढ रहा पोपूलेशन दिन दूनी, रात चौगुनी विकट हो रहा सिचुएशन वर्तमान दृश्य ऐसा है…
वृक्ष है संजीवनी-अश्मजा प्रियदर्शिनी
वृक्ष है संजीवनी वृक्ष है संजीवनी हमारी वसुंधरा की हैं शान धरती को स्वर्ग बनाते, जैसे ईश्वर का वरदान प्राणवायु देते भरते हर जीव-जन्तु में जान वृक्षों की शाखाओं पर…
आभासी दुनिया की मृगतृष्णा-विनय कुमार
आभासी दुनिया की मृगतृष्णा सैकड़ों-हज़ारों दोस्त मिलें फ़िर भी ख़ुद को अपनापन की गलियों में अकेला ही पाया ये इंटरनेट की दुनिया हमें किधर लिये जा रही? ये तो अपनो…
सूरज और जल की चेतावनी-विनय कुमार
सूरज और जल की चेतावनी सुबह, सुबह ! सूरज अपने कर्मपथ को चला कि मार्ग में एक खंडहर मिला कभी जिसे अपनी भव्यता का गुमान था झील का आकार लेता…
परिश्रम-भवानंद सिंह
परिश्रम मेहनत कर हर इंसान जीवन में आगे बढ़ता है, जो मेहनत से जी चुराता जीवन में पीछे रह जाता है । आगे अगर बढ़ना है तुमको करो परिश्रम जी…
देशी मिट्टी के सुगंध-भवानंद सिंह
देशी मिट्टी के सुगंध देश हमारा हमें है प्यारा इसकी खुश्बू को पहचाने, इस मिट्टी में पले बढे हम आज खड़े हैं सीना ताने । कसम हमें है इस मिट्टी…
आत्मविश्वास-संयुक्ता कुमारी
आत्मविश्वास आओ बच्चों तुम्हें सुनाए कहानी दिव्यांग नृत्यांगना की। जो अपने आत्मबल से अपने सपने को साकार की। वह थी दिव्यांग नृत्यांगना नाम था सुधा चंदन। बचपन से करती थी…