सब मिल पोषण कर जाओ खाना-पीना देती मम्मी ड्रेस नहीं क्यों देती हो खाता में जब जाता पैसा अपना मान क्यों लेती हो? पैसा अपना माने तो क्या…
बचपन-संयुक्ता कुमारी
बचपन आज फिर से याद आई मधुर यादें वह बचपन की चिंता रहित खेलना और खाना न रोने का समय और न हँसने का बहाना मेरा बचपन भी था मद…
वर्षा रानी-प्रीति कुमारी
वर्षा रानी वर्षा रानी का आगमन पुलकित हुआ हमारा मन गर्मी से व्याकुल वसुंधरा को, जैसे मिला हो नव जीवन। बाग़-बगीचे हरे हुए और हरा हुआ सब वन-उपवन पुष्प सारे…
दूर धरा की अंधियारी-मनु कुमारी
दूर धरा की अंधियारी मिट्टी के दीये से जब करते हम, अपने घर की उजियारी, स्नेह के दिये जलाकर कर दें, दूर धरा की अंधियारी। खुशी की फुलझड़ियाँ, और पटाखे…
क्षितिज के पार-दिलीप कुमार गुप्ता
क्षितिज के पार हिम वेदना को पिघलाने नयनो के अश्रुकोश लुटाने विकल मन को त्राण दिलाने अन्तर्मन छवि पावन बसाने आओ चले क्षितिज के पार । कुत्सित भाव विचार…
महारथी कर्ण का वध-दिलीप कुमार चौधरी
महारथी कर्ण का वध कहते थे लोग जिसे सूत-पुत्र ; वह था कुन्ती का प्रथम सुपुत्र । पाण्डवों का था भ्राता ज्येष्ठ ; महा दानवीर और धनुर्धर श्रेष्ठ । होठों…
नये भारत की शक्ति- भवानंद सिंह
नये भारत की शक्ति चाईना अब होगा बर्बाद पंगा लिया है भारत के साथ, भारत के आगे सब झुकता है चीन की क्या है औकात । चीन से मेरा है…
ठनका वज्रपात-अपराजिता कुमारी
ठनका वज्रपात मानसून आ चुका है, बच्चों ! काले काले बादल घिर आए कड़ कड़ कड़ कड़ बिजली कड़की यह बज्रपात ठनका भी हो सकती है। ऐसे में रखनी कुछ…
वर्षा रानी-जैनेन्द्र प्रसाद “रवि”
वर्षा रानी उमड़-घुमड़ कर बादल गरजे बूंदें गिरती आसमानी, पृथ्वी पर अपना प्यार लुटाने आती हैं वर्षा रानी। ग्रीष्म ऋतु से विह्वल होकर पेड़-पौधे मुरझाते, प्रचंड धूप से आहत…
सपने-चंचला तिवारी
सपने आँखो ने रात एक सपना सजाया सपने मे मैंने अपने सपने को पाया उस सपने ने मुझे हर पल जगाया हर क्षण मुझे बस वही नज़र आया आँखो ने…