अमृतपान-प्रीति

Priti

Priti

अमृतपान

माँ का दूध अमृत समान
जिसने भी पिया वो बना बलवान।
हृष्ट-पुष्ट और शक्तिमान,
नहीं है कोई पान इसके समान।
जिसने भी किया है स्तनपान,
जग में नाम किया उसने रौशन।
जिसने भी माँ का दूध पीया,
रण में दुश्मनों को परास्त किया।
स्तनपान मेँ इतनी शक्ति है
मानो भगवान की भक्ति है।
यदि किया है तुमने स्तनपान,
तो करो सभी माँ का सम्मान।
माता के लिए अपने बच्चों से,
बढकर कोई नहीं दुजा।
माँ की ममता के सामने
दुनिया का हर सुख लगे फीका।
यदि पाना है तुम्हे मान-सम्मान
तो माँ का हमेशा रखो ध्यान।
माँ के आंचल के छाँव तले,
सुख के शीतल एहसास मिले।
मानो जीवन का यही सार,
है यहीं हमारा सुखमय संसार।
माँ शब्द ही मन को तृप्त कर दे,
मन मन्दिर में जल तरंग भर दे।
जिसके सर पे हो माँ का हाथ
वह कभी नहीं होता परास्त।
हर क्षेत्र में विजयी वह होता है,
और पाता है जग में सम्मान।
माता का दूध अमृत समान,
जिसने पीया वह पाया मान।

प्रीति
कन्या मध्य विद्यालय मऊ

विद्यापति नगर समस्तीपुर 

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