अपनी हिंदी-धीरज कुमार

Dhiraj

Dhiraj

अपनी हिंदी

हर हिंदुस्तानी के दिल की धड़कन है अपनी हिंदी।

माथे पर महिला के सुशोभित है जैसे बिंदी।

गर्व होता है कि मेरी मातृभाषा है हिंदी।

जैसे सभी नदियों में पावन है गंगा नदी।

पूरे भारत को एकसूत्र में बांधकर रखती है हिंदी।

हर समाज के लोगो में हिंदी के प्रति जागरूकता है बढ़ी।

राजभाषा कहलाती है खुद पर हमे गर्व करवाती है हिंदी।

बोलने में सरस और खुद की व्याकरण से सजी है हिंदी।

अपने देश की आन बान और शान है हिंदी।

समृद्धि और संपन्नता से भरी पड़ी है हिंदी।

हिंदी दिवस ही नहीं हर दिन सम्मान पाती रहे हिंदी।

पूरे विश्व में अपने परचम को लहराए अपनी प्यारी हिंदी।

है संकल्प लेना अधिक से अधिक बोलचाल में प्रयोग करे हिंदी।

जिससे आने वाले समय केवल अंग्रेजी पढ़, बच्चे भूल न जाए हिंदी।

धीरज कुमार
U. M. S. सिलौटा
 भभुआ कैमूर

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