माता -पिता के चरणों में संसार है, वही तो मेरे खुशियों के आधार हैं। गोद में जिनके खेले हमने बचपन में , जिनसे घर आंगन में छायी बहार हैं। रोने…
Author: Anupama Priyadarshini
विद्यालय की जुदाई – एम० एस० हुसैन
आया था जब मैं यहां पर एक अजनबी सा बनकर था अकेला, मायुस बैठा खूद में ही खूद सिमटकर न था किसी से परिचित न था मैं किसी से बेहतर…
पिता – राम किशोर पाठक
द्विगुणित सुंदरी छंद सबका बोझ उठाना, करना नहीं बहाना। अपना दर्द छुपाना, हर पल ही मुस्काना।। सबका शौक पुराना, उफ्फ नहीं कर पाना। संघर्ष की कहानी, नहीं सुनाना जाना।। हाथ…
मुन्नी रोज आती स्कूल
बाल कविता। मुन्नी रोज आती स्कूल, लेकिन आज रास्ता गई भूल। रास्ते में बैठकर रो रही थी, आँसू से मुख को धो रही थी। किसी ने कहा उसकी मम्मी से,…
बदलें बिहार आओ – राम किशोर पाठक
द्विगुणित सुंदरी छंद शिक्षक सभी हमारे, बदलें बिहार आओ। शिक्षा दीप जलाओ, ज्ञान पुंज फैलाओ।। प्रण यह करने आओ, औरों को समझाओ। जीवन जीने आओ, जीना भी सिखलाओ।। अंतस अभी…
यह चिड़िया कहाँ रहेगी – संजय कुमार
बोलो अब मैं कहाँ रहूँगी बच्चे मेरे कहाँ रहेंगें आती है हम सब से कहने अपनी चीं चीं मधुर आवाज में कभी कभी यह मधुर कलरव से जैसे शिक्षक समझाते…
बिन शिक्षक वैभव अधूरा- सुरेश कुमार गौरव
शिक्षक की गोद में पलता,उत्थानों का भाव। जिसकी पीठ पकड़ कर चलता,पड़ता देश प्रभाव॥ बोए बीज वही बन जाता,वटवृक्षों का नाम। उसकी छाया में संवरता,जन-जन का अभिराम॥ काल की गति…
बड़ा कठिन है रे मन -अवनीश कुमार
(श्रुतिकीर्ति की अंतरवेदना) बड़ा कठिन है रे मन! राजरानी बनकर अवध में रहना, और राजर्षि पति शत्रुघ्न का भ्रातृधर्म निभाने को संकल्प लेना और… बिन कहे प्रिय से दूरी का…
मोबाइल का जाल – सुरेश कुमार गौरव
मोबाइल आया संग में मिली सुविधा, बढ़ती गई इस विचित्रता की दुविधा। ज्ञान-विज्ञान का खोल के पिटारा, छीन लिया हमसे अपनों का सहारा। सुबह उठें तो स्क्रीन की तलाश, रात…
जागो, उठो समय है पुकारता – सुरेश कुमार गौरव
उठो जवानों, चलो बनाओ, नव युग का इतिहास रचाओ। हौसलों से भर दो धरती और गगन, हर दिशा में करो आलोकित जीवन। तुम हो शक्ति, तुम हो रणवीर, तुम्हीं में…