पिता – राम किशोर पाठक

द्विगुणित सुंदरी छंद सबका बोझ उठाना, करना नहीं बहाना। अपना दर्द छुपाना, हर पल ही मुस्काना।। सबका शौक पुराना, उफ्फ नहीं कर पाना। संघर्ष की कहानी, नहीं सुनाना जाना।। हाथ…

बदलें बिहार आओ – राम किशोर पाठक

द्विगुणित सुंदरी छंद शिक्षक सभी हमारे, बदलें बिहार आओ। शिक्षा दीप जलाओ, ज्ञान पुंज फैलाओ।। प्रण यह करने आओ, औरों को समझाओ। जीवन जीने आओ, जीना भी सिखलाओ।। अंतस अभी…

बिन शिक्षक वैभव अधूरा- सुरेश कुमार गौरव

शिक्षक की गोद में पलता,उत्थानों का भाव। जिसकी पीठ पकड़ कर चलता,पड़ता देश प्रभाव॥ बोए बीज वही बन जाता,वटवृक्षों का नाम। उसकी छाया में संवरता,जन-जन का अभिराम॥ काल की गति…

बड़ा कठिन है रे मन -अवनीश कुमार

(श्रुतिकीर्ति की अंतरवेदना) बड़ा कठिन है रे मन! राजरानी बनकर अवध में रहना, और राजर्षि पति शत्रुघ्न का भ्रातृधर्म निभाने को संकल्प लेना और… बिन कहे प्रिय से दूरी का…

मोबाइल का जाल – सुरेश कुमार गौरव

मोबाइल आया संग में मिली सुविधा, बढ़ती गई इस विचित्रता की दुविधा। ज्ञान-विज्ञान का खोल के पिटारा, छीन लिया हमसे अपनों का सहारा। सुबह उठें तो स्क्रीन की तलाश, रात…

जागो, उठो समय है पुकारता – सुरेश कुमार गौरव

उठो जवानों, चलो बनाओ, नव युग का इतिहास रचाओ। हौसलों से भर दो धरती और गगन, हर दिशा में करो आलोकित जीवन। तुम हो शक्ति, तुम हो रणवीर, तुम्हीं में…