मेरी मां – विवेक कुमार

आओ सुनाता हूं अपनी कहानी, निःस्वार्थ प्रेम की कहानी, अपनी जुबानी मां के छोटे शब्द में ब्रह्मांड है समाई, दुख दर्द सहे ठोकरे खाई, जन्म दे मुझे धारा पर लाई,…

मां – अंजली कुमारी

पृथ्वी पर जीवन का अंकुर फूटा, धरा पर हरियाली छाई है । हर जीव जगत का वंश बढ़ाने, स्त्रीत्व चरम पर आई है । माहवारी का दर्द सहा, सौंपा जीवन…

नर्स – एस.के.पूनम

नर्स धरा पर आई, बहन का नाम पाई, सेवा भाव साथ लाई,वही अभिमान है। छुआछूत दूर रहे, दीन-दुखी प्रिय कहे, भेदभाव करें नहीं,दीदी तो महान है। चिंतन करती रहें, दुख…

मित्रता – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

द्वारिका में मिलने को, सुदामा जी आए जब, चरण पखारें श्याम, पानी ले परात में। मित्र कहो समाचार, पूछा जब बार-बार, अपनी गरीबी नहीं, कहा मुलाकात में। वस्त्र फटे ठांव-ठांव…