किसान-एस.के.पूनम

रश्मियां निकल आईं,पूरब में लोहित छाईं, कृषक तराने गाएं,अभी प्रातःकाल है। निकला विस्तर छोड़,देखा खेत-खलिहान, किसानों का मुखड़ा भी,देख खुशहाल है। धूप से तपती धरा,धूल से गगन भरा, स्वेद से…

जीवन का फ़लसफ़ा -जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

सभी करते आनंद यहां अपने वजूद में, बड़े कामकाज करें, बच्चे खेलकूद में। किशोर तो विद्यालय जाएं करने पढ़ाई को, युवक सेनाओं में जाते सीमा पर लड़ाई को। व्यस्क करें…