प्रभाती पुष्प – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी वर्षा ऋतु आने पर, नदी नाले भरे जाते, आनंद से रहती है मछली तालाब में। लोगों की नज़र बीच, छिपाने से छिपे नहीं, असली छुपाते लोग चेहरा नक़ाब…

अदृश्य शक्ति -जयकृष्ण पासवान

कण-कण में तू व्याप्त है, निराकार बनके मौन । हर लम्हा होता महसूस तेरा, तेरे बिना उबारे कौन।। विश्वास फूल की माली बनी, सुगंध तेरा बसेरा। भंवरे तो परागन ले…

बालिका-शिक्षा – पामिता कुमारी

बेटी पढाईला से कछु नय बिगरतै हे बाबूजी तोहर पगड़ी नय गिरतै। बेटी और बेटा में भेद नय करिहो, दोनो के साथे-साथ पढाईहो लिखाइहो, बेटी पढाईला से इज्जत नय घटतै,…