बदलाव-धर्मेन्द्र कुमार ठाकुर

Dharmendra

बदलाव

हुआ यूँ, समय बदल गया,
बचपन बदला, युवा पीढ़ी बदल गया।
रहन-सहन बदला, खान-पान बदल गया।
रंग बदला, ढंग बदला चाल-ढ़ाल बदल गया।
मानव बदला, उसमें मानवता बदल गयी।
शिक्षा तो आयी, संस्कार कहीं खो गया।
व्यवहार, व्यहविचार में बदल गया।
हर क्षण लोगों की मनोवृत्ति बदलती रही ।
प्रकृति ने अपने में बदलाब लाया
मौसम का समय बदल गया
विद्वान की परिभाषा बदली विद्वत्ता भी बदल गई।
दक्षता बदलकर, कागज में सिमट गया
केवल डिग्रियां लेकर लोगोँ का मिजाज बदल गया।
अपने को विद्वान समझने लग गए, यू हीं
लोगों का तेवर बदल गया।
अपने-अपनों की पहचान बदली,
मान-सम्मान बदल गया।
कागज कम्प्यूटर में बदल गया।

धर्मेन्द्र कुमार ठाकुर
न. सृ. प्रा. वि. नेमानी टोला बेलसरा गोठ
रानीगंज अररियाा

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