सत्य अगर बोलूँ- महा_शशिवदना छंद सत्य अगर बोलूँ, रूठ सभी जाते।झूठ कभी बोलूँ, संग चले आते।। मुश्किल होती है, सत की हर राहें।मान सहज लेते, उड़ती अफवाहें।।कौन बताएगा, काश समझ…
Category: छंद
शब्दों के मोती..रामकिशोर पाठक
शब्दों के मोती- महा_शशिवदना छंद शब्दों के मोती, मैं चुनकर आऊँ।कैसे भी उनको, सुंदर कर जाऊँ।। उनसे है बनता, गीतों की माला।कानो में घुलती, बनकर मधुशाला।।गाकर जिसको मैं, नित चित…
गणेश वंदना..राम किशोर पाठक
गणेश वंदना- सीता छंद देव तेरी वंदना जो, नित्य ही गाया करूँ। दिव्य तेरे रूप का मैं, दर्श जो पाया करूँ।। साधना कैसे करूँ मैं, विज्ञता दाता नहीं। याचना कैसे…
तू बचा ले .रामपाल प्रसाद सिंह
सीता छंद वर्णिक 15 वर्ण 2122-2122=2122-212तू बचा ले डूबने से।**************************लूटती लज्जा हमारी,नैन क्यों ना खोलते।खो गया है धैर्य मेरा,हो तराजू तोलते।।तू कहाॅंं मैं हूॅं कहाॅं जी,हो गई दूरी कहीं।ऑंख मेरी…
दोहा छंद…रामकिशोर पाठक
प्रयास- दोहा छंद गीत मिलता जिससे हैं उन्हें, जीवन में आराम।कर प्रयास हैं साधते, कर्मठ सारे काम।। मिल जाते भगवान है, होता जहाँ प्रयास।करने वाले ने किया, पूर्ण सभी निज…
तन्हा तन्हा..राम किशोर पाठक
कुण्डलिया तन्हा-तन्हा है आज-कल, यहाँ सकल संसार।कारण इसका क्या भला, करिए जरा विचार।।करिए जरा विचार, कभी खुद को भी झाँके।बना बहाना काम, नहीं औरों को ताके।।होते सभी समान, नहीं कोई…
भजन..रामकिशोर पाठक
प्रभु नाम का कर ले – विधाता छंद गीत फलेगा काम सब तेरा, शरण अब राम तुम धर ले।मिटेगा पाप सब तेरा, भजन प्रभु नाम तुम कर ले।। चलो राहें…
हे सखी! – पथिका छंद – राम किशोर पाठक
हे सखी! – पथिका छंद – राम किशोर पाठक हे सखी! मुझे बतलाओ। कैसे रहूँ बिना साजन के, बैठी घर सदा अकेली। उठते कितने भाव हृदय में, जैसे हो एक…
संविधान- लावणी छंद – राम किशोर पाठक
संविधान- लावणी छंद – राम किशोर पाठक नीति नियम का ग्रंथ यही है, जिसके सन्मुख समरस रहते। देश चलाते हैं हम जिससे, संविधान उसको कहते।। आजादी जब हमने पायी, हमको…
राम विवाह..रामकिशोर पाठक
राम विवाह – सरसी छंद गीत संग सभी भ्राता भी उनके, परिणय को तैयार।सिया वरण करने को आयें, सजे-धजे सुकुमार।। अगहन शुक्ल पंचमी आयी, होता राम विवाह।झूम रहे हैं सब…