कृष्ण कन्हैया अगर, आते मिलने आज। होते विस्मित मगर, देख सभी के काज। माखन मिसरी सहज, उनको देता कौन। दुनिया दारी समझ, रहे न कोई मौन।। राधा जैसी सहज, मिलते…
Category: छंद
शरद पूर्णिमा – महामंगला छंद, राम किशोर पाठक
देखो आया शुभद, आज कई संयोग। रजनी लगती नवल, चकवा का हठयोग।। पूनम सुंदर धवल, लेकर आयी रूप। आज पूर्णिमा शरद, अंबर लगे अनूप।। सोम देव से किरण, छिटक रही…
दशहरा -दोहावली रामकिशोर पाठक
दशहरा- दोहावली उस रावण को मारिए, जिसका मन पर राज। सफल तभी यह दशहरा, कह पाएँगे आज।।०१।। करते पुतला का दहन, बनकर हम श्री राम। अंदर रावण है तना, जिसे…
बहती गंगा-सी पुण्यधार रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
पद्धरी छंद सम-मात्रिक छंद, 16 मात्राएँ आरंभ द्विकल से, पदांत Sl अनिवार्य। मां सिद्धिदायिनी दिव्य भाल। दिखते हैं सागर से विशाल।। कर अभ्यागत की पूर्ण आस। भर दें संस्कारित…
बेटी -प्रदीप छंद गीत – राम किशोर पाठक
बेटी- प्रदीप छंद गीत घर आँगन की शोभा बेटी, ईश्वर का वरदान है। जिस घर में रहती है बेटी, बढ़ता उसका मान है।। नहीं सही हम कमतर आंके, सहनशीलता मर्म…
माँ जब भजते- तीव्र अश्वगति छंद – राम किशोर पाठक
माँ जब भजते- तीव्र/अश्वगति छंद साधक याचक सा मन लेकर, धीरज धरते। माँ उनके घर आँगन आकर, कौतुक करते।। माँ पग को रखती जब आकर, पावन क्षण है। दर्शन पाकर…
वंदनवार -रामपाल प्रसाद सिंह
वंदनवार सजे शारदा प्रदीप छंद चंद्रघंटा प्रथम शैलजा स्वागत सर्वत:,ब्रह्मचारिणी नाम का। रूप तृतीया सौरभ छाया,दिव्य लोक सुरधाम का।। शक्तिपुंज की माला क्रमशः, लंबी होती जा रही। चारु चंद्रघंटा चपला…
छंद -रामपाल प्रसाद
शीतलता के बीच बहाती,रहती तू रस-धार है! नीले-नीले नभ-मंदिर से,हे माते!हो जा प्रकट, उत्कट प्रत्याशा में ॲंखियाॅं,राह तकी है एकटक। देर हुई माॅं ब्रह्मचारिणी!,क्षमा करो नादान को, जो भी संभव…
है मान बाकी राम किशोर पाठक
है मान बाकी – शिखंडिनी छंद किसे हम कहें, बातें पुरानी। रहा कुछ नहीं, बाकी कहानी।। जिन्हें सुबह से, ढूँढा जमाना। बना अब रहे, ढेरों बहाना।। नहीं समझते जो मौन…
कर्मठ संस्कारी बच्चे -जैनेंद्र प्रसाद
कर्मठ संस्कारी बच्चे बाल सृजन रूप घनाक्षरी छंद में कर्मठ संस्कारी बच्चे, कहलाते हैं वे अच्छे, सबसे अलग निज, बनाते हैं पहचान। सुबह सवेरे जाग- व्यायाम करते जो, पौष्टिक आहार…