महाकाल की देवघर सोमनाथ, काशी व अमरनाथ, उज्जैन नगर बीच, बसे महाकाल हैं। भोलेनाथ उमापति, बनके जगतपति, शरणागत भक्तों का-वे रखते ख्याल हैं। शिव का भजन करें, चिंतन मनन करें,…
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दुर्लभ गुरु ज्ञान – जैनेंद्र प्रसाद रवि
दुर्लभ गुरु ज्ञान है मित्र-पुत्र माता-पिता- मिलते हैं सौभाग्य से, गुरु तो साक्षात कृष्ण, राम के समान हैं। हजारों जन्मों का पुण्य- जब फलीभूत होता, गुरु की कृपा से होता,…
गुरु से विनय – राम किशोर पाठक
गुरु से विनय- किशोर छंद गीत हम-सब छोटे बालक पढ़ने, आएँ हैं। गुरुवर लाख बुराई हममें, पाएँ हैं।। सारे छोड़े काम अधूरा, जाने दें। पुलकित रहता हृदय हमारा, गाने दें।।…
पितृ तर्पण -राम किशोर पाठक
पितृ तर्पण – निश्छल छंद देख रहें हैं पूर्वज अपने, करिए जाप। भूल गए या याद किए हैं, उनको आप।। आश्विन आया पूर्वज रखते, तर्पण खास। देख रहें हैं बस…
स्वास्थ्य रक्षा -राम किशोर पाठक
स्वास्थ्य रक्षा – सरसी छंद स्वास्थ्य हमारा सही रहे तो, रहती है मुस्कान। काम समय से होता रहता, मिलती नव पहचान।। इसकी रक्षा धर्म हमारा, ले हम इतना जान। मनोभाव…
परशुराम जयंती- राम किशोर पाठक
दोहा छंद चार सनातन युग शुभद, करते ग्रंथ बखान। कालखंड सबके अलग, करे सभी गुणगान।।०१।। सतयुग का प्रस्थान था, त्रेतायुग तैयार। महिप सभी निरंकुश थे, करते अत्याचार।।०२।। शुक्ल पक्ष बैशाख…
आतंक एक नासूर – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
रुप घनाक्षरी छंद में सीमाओं की रक्षा हेतु, कुर्बानी भी देनी होगी, कभी नहीं अधिकार, माँगा जाता हाथ जोड़। बार-बार मरने से- अच्छा होगा खेत आना, डरकर भागता जो, कहलाता…
अफवाहों के दौर में – राम किशोर पाठक
छंद – कुण्डलिया अफवाहों के दौर में, रहिए ज़रा सतर्क। दिल से करके देखिए, मिलता क्या है तर्क।। मिलता क्या है तर्क, कभी पूछो अपनों से। जीवन का उत्सर्ग, रुके…
कुँवर सिंह – राम किशोर पाठक
मनहरण घनाक्षरी मृगराज सी हुँकार, चमकती तलवार, अंग्रेजों को ललकार, किए जो कमाल थे। उम्र अस्सी किए पार, यौवन सी स्फूर्ति धार, रविसुत हो सवार, बने जो विकराल थे। गोली…
जीने का अधिकार – राम किशोर पाठक
छंद – दोहा जीने का अधिकार है, सबको एक समान। जीव-जंतु सबका करें, रक्षा बन बलवान।।१।। रखिए हरपल हीं यहॉं, दीन-हीन का ध्यान। जीने का अधिकार दे, और उन्हें सम्मान।।२।।…