दीप रश्मियांँ- राम किशोर पाठक

दीप रश्मियाँ- गीत ज्ञान सत्य का हुआ नहीं तो, कहते हम अज्ञानी है। दीप रश्मियाँ जहाँ नहीं है, अँध की वहीं कहानी है।। एक अकेला किरण अगर हो, रहता तम…

ऐसी होती दिवाली -रामपाल प्रसाद सिंह

कुकुभ छंद ऐसी होती दीवाली। मानस में दुर्भाव न होता,मुख पर बस होती लाली। आओ सोच-विचार करें हम, ऐसी होती दीवाली।। जितना हो सामर्थ्य हमारा,उतना भी कर पाते तो। पास…

दीपावली -एस.के पूनम

विधा:-मनहरण घनाक्षरी। दीपावली चहुँओर ज्योत जले, मिट जाए अंधकार, गणपति साथ बैठें ,आरती कर रहे। नगर शहर और , किया कस्बों ने श्रृंगार, प्रकाश से पुलकित,चाँद कुछ न कहे। झिलमिल…

दिवाली की रात -जैनेंद्र प्रसाद रवि

दिवाली की रात में मनहरण घनाक्षरी छंद रोशनी का ये त्यौहार, खुशियांँ लाता अपार, घरों को सजाते लोग, दिवाली की रात में। लाते हैं वल्बों की लड़ी, छोड़ते हैं फुलझड़ी,…

श्री का अवतार रत्ना प्रिया

श्री का अवतार श्री, समृद्धि, सौभाग्ययुक्त, माता आईं द्वार । भक्तों की सद्इच्छाएँ, पल में होें साकार ।। श्री चरण के आग्मन से, शुभता का हो वास , दु:ख, दारिद्रय…

दीपावली -रुचिका

दीपावली दीपों की जगमग अवलि, अँधेरों से देखो कैसे लड़ रही है अमावस के गहन तिमिर को दूरकर प्रकाश हर जगह बस रही है। एक दीया प्रेम और विश्वास का…