सर्दी – रामकिशोर पाठक

  सर्दी का है मौसम आया घना कोहरा भी है छाया। सुबह-सुबह हीं हम जागें जल्दी से स्कूल हम भागें। ठंढे पानी से नहीं नहाना कर जाते हैं कोई बहाना।…

समय पर खेल समय पर पढ़ाई – अमरनाथ त्रिवेदी

लिए  खिलौने  हाथ   में, खेलने को हम सब बेकरार। पापा निकले  घर  से, हम  सब  हुए  फरार। देख  उनकी   त्योरी, रही  न  बुद्धि   माथ। असमय खेलने का यह प्रतिफल मिला,…

प्यारे-न्यारे चंदा मामा- अमरनाथ त्रिवेदी

चंदा मामा चंदा  मामा, लगते कितने प्यारे हो। अनगिनत तारों के संग तू , लगते शीतल न्यारे हो। तुममें जो शीतलता है , वह सबके मन को भाता है। भव्य…

बीज की चाह- मेराज रजा

  दाना हूँ मैं नन्हा-मुन्ना, मिट्टी में हूँ गड़ा-गड़ा! कैसी होगी दुनिया बाहर, सोच रहा हूँ पड़ा-पड़ा! मीठा-मीठा पानी पीकर, अंकुर मैं बन जाऊँ! बढ़िया खाद मिले तो खाकर, खिल-खिलकर…

सूरज दादा – अमरनाथ त्रिवेदी

सूरज दादा   सूरज दादा, तुम प्रकाश फैलाते हो। गर्मी में तुम बड़े सवेरे आते, जाड़े  में  क्यों इतनी  देर  लगाते हो ? पर शाम में  जल्द  ही  तुम कहीं  छुप जाते …

प्यारा-सा चाँद – भोला प्रसाद शर्मा

  चमक रहा है आसमान में, प्यारा-सा चाँद, सितारों के संग खेल रहा है प्यारा-सा चाँद। चुपके-चुपके झाँक रहा है बादलों की आड़ में झिलमिल रोशनी फैला रहा, पुरवाई बयार…

स्वच्छता हमारा मूलमंत्र – अमरनाथ त्रिवेदी

स्वच्छता  हमारा  मूलमंत्र है, यह शरीर का मजबूत तंत्र है। सबसे  यही अनुरोध  करें हम, स्वच्छ रहने का यत्न करें सब। हम अपने हाथों  की करें सफाई, मम्मी  तभी  देगी …

दिवाली आज मनाएँगे- रामकिशोर पाठक

  दादा जी फुलझड़ी चाहिए, जगमग वाली लड़ी चाहिए, हम भी दीप जलाएँगे, दिवाली आज मनाएँगे। देखो पटाखे फूट रहे हैं, लगता तारे टूट रहे हैं, रंगोली भी तो बनाएँगे,…