देखो,कैसे आ गया अक्टूबर थोड़ी सी ठंडी हवा लेकर, थोड़ी सी सूरज की गर्मी चुराकर थोड़ी सी सूरज में नर्मी लाकर जैसे करने को आतुर है शीत का स्वागत देखो…
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बारिश की बूंदे -बिंदु अग्रवाल
बारिश की बूंदे गिर रही हैं । यह उनकी नियति है। उन्हें गिरना है । उन्हें नहीं मालूम की अपना घर छोड़ते वक्त किस मंजिल पर आकर रुकेंगी? किसी पोखर…
एक शिक्षक- पुष्पा प्रसाद
एक शिक्षक अपनी पूरी जिंदगी बच्चो के साथ बिताते हैं। खुद सड़क की तरह एक जगह रखते है पर विद्यार्थी को मंजिल तक पहुंचा देते है । कोई पेशेवर खिलाड़ी…
सबसे मधुर वाणी – मीरा सिंह “मीरा”
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ एक मौलिक, स्वरचित रचना प्रेषित है आओ बच्चों तुम्हें बताएं सबसे मधुर वाणी है कौन। सबके दिल पर करे हुकूमत सुनो बच्चों…
खुशियों की तलाश में- मीरा सिंह “मीरा”
नए साल की नयी सुबह नए सपने आंखों में सजाए नयी उम्मीदों की अंगुली थामे आंख मिचते आज पूरा पटना सड़कों पर नजर आया सड़कों पर जनसैलाब गजब उमड़ा था…
बधाई हो -जयकृष्णा पासवान
धरती की तू पताल रस से, विद्या का रसपान किया। बादल- बरसे और बिजली, चमकी फिर दरिया भी तूफान किया।। कश्तियां बनकर डटे रहे, सागर के मंजधार में । साहिल…
बसंत बहार- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
घनाक्षरी छंद में (१) बागों में बहार आई, मन में उमंग छाई , भांति-भांति फूल देख, छूटे फुलझड़ियां। जहां भी नज़र जाए, सुन्दर सुमन भाए, दूर-दूर तक लगी, पुष्पों की…
जीने दो खुले मन से- संजय कुमार
उन्हें उड़ने दो , नील गगन में । मादा रखते हैं जो उड़ने की , बांधो न उन्हें न दिखाओ डर गिरने का । अपने अनुभव और उम्र का, तकाजा…
मामा चले ससुराल -मीरा सिंह “मीरा”
बंदर मामा चले ससुराल पहनकर सिर पर टोपी लाल। है उनके साले की शादी मामा पहने कुरता खादी।। साथ चली उनकी बंदरिया सिरपर ओढे लाल चुनरिया। ठुमक ठुमक के पांव…
गुड़िया – अदिती भुषण
आओ सब मिल खेले खेल मैं इक गुड़िया, बच्चों के मन को भाती सुंदरता मेरी प्यारी प्यारी मैं कई रूप रंगों में आती। तुम जैसा मुझे बनाओगे, वैसा मैं बन…