मनहरण घनाक्षरी छंद माता – पिता, गुरुजन, का जो ना सहारा मिले, उम्र सारी बीत जाए, जिंदगी बनाने में। मानव जीवन भाई, बड़ा अनमोल होता, वक्त न बर्बाद करें, बैठ…
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वीर बाल दिवस-नीतू रानी
आज है वीर बाल दिवस का दिन आज का दिन है बड़ा महान, आज हीं दो छोटे-छोटे बालक हँसते-हँसते दी वो अपनी जान। एक का नाम था जोरावर सिंह दूसरे…
कर्पूर बदन-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++ सिर शोभे जटा जूट, विभाकर का मुकुट, कर्पूर बदन शिव, हाथों में त्रिशूल है। चढ़ता है बेलपत्र, गंगाजल बने इत्र, फूलों में अधिक प्यारा, धतूरा का…
आबह की होतैय-जयकृष्णा पासवान
कत्ह सपना सजै-लह छेला, किस्मत के आड़ म। सब धरले रही गेलैय, जीवन के मंजधार म।। हाथ आबह मली क, तक़दीर की पैयतैय । हे विधाता आबह की होतैय।। घर…
कर्त्तव्य बोध -अमरनाथ त्रिवेदी
पुरातन से ओजस्विता लिए , विचरण हम जब – जब करते हैं । सत्य -दृढ़ अनुशीलन पर , तब मार्ग प्रशस्त हम करते हैं । यह संधिकाल सुकर्म का है…
मानव दर्शन – अमरनाथ त्रिवेदी
मानव जीवन से नित आस यही , मिटे भ्रम , भय , कुशिक्षा । सुसंस्कार समाहित हो जग में , हो जन -जन की यह प्रबल इच्छा । जन-जन में…
आज वीरान क्यों है- जयकृष्णा पासवान
आज धरती पर आसमां, वीरान क्यों है। चांद और सितारे, भी तो वहीं है। मगर हवा की सुर्खियां, इतना परेशान क्यों है।। हरेक-लम्हों की बेचैनी, ईंटों के दिवारों में दिखती…
ठ्काय गेला- जयकृष्णा पासवान
अंगिका आज को दिन कहिन्ह, उदास लागैय छै । वार-वार हमरा कहिन्ह, प्यास लागैय छै ।। ग़रीबी के पसीना हम्म, गमछी स पोछला । कि करबै हम्म केकरो, नाय पुछला…
मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि
टूटे रिश्ते जिंदगी गुजर जाती, यहां रिश्ते बनाने में, गाँठ पड़ जाते यदि, टूटे-रिश्ते जुड़ते। खूब मजबूत रखें , संबंधों की बुनियाद, बालू की दीवार बने, घर नहीं टिकते। प्रेम…
मुस्कान- अश्मजा प्रियदर्शिनी
निराश ह्रदय कुंठित काया को हर्षित करे खिल जाता जीवन बगिया अनूप । मिल जाती खुशियाँ अपार न होता विषम वेदना,कष्ट,विपदा कुरुप । कभी चाँद की चाँदनी की शीतलता ,कभी…