रोटी इस दो जून की रोटी की खातिर नीयत करते सब खोटी, वाकई रोटी चीज नहीं छोटी।। क्या कहूँ इस पापी पेट के लिए क्या क्या सितम उठाना पड़ता है,…
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Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
चतुर लोमड़ी-अशोक कुमार
चतुर लोमड़ी कौआ मामा बहुत चतुर, भूख से थे मजबूर। वह निकले गाँव की ओर, रोटी का टुकड़ा मिला जरूर। टहनी पर बैठकर खाना चाहा, इतने में आ गई लोमड़ी…
माँ जीवन का आधार-स्वाति सौरभ
माँ जीवन का आधार तू त्याग का प्रतीक है, तू जीवन का संगीत है तू धरा स्वरूप है, तू नारीशक्ति रूप है। तू निराशा में भी आशा है, जिसकी नहीं…
नये भारत की शक्ति- भवानंद सिंह
नये भारत की शक्ति चाईना अब होगा बर्बाद पंगा लिया है भारत के साथ, भारत के आगे सब झुकता है चीन की क्या है औकात । चीन से मेरा है…
ठनका वज्रपात-अपराजिता कुमारी
ठनका वज्रपात मानसून आ चुका है, बच्चों ! काले काले बादल घिर आए कड़ कड़ कड़ कड़ बिजली कड़की यह बज्रपात ठनका भी हो सकती है। ऐसे में रखनी कुछ…
हाँ गर्व है मुझे-रानी कुमारी
हाँ गर्व है मुझे गर्व है यहाँ के मौसम पर पछुआ-पुरवाई हवाओं पर पर्वत-पहाड़ों, मरुभूमि-मैदानों पर नदी, तालाब, सागर व झीलों पर। गर्व है घाटी के केसर और रेशमी धागों…
मैं प्रकृति हूँ- संदीप कुमार
मैं प्रकृति हूँ मैं प्रकृति हूँ! इंसान मैं तुझे क्या नहीं देती हूँ सबकुछ समर्पित करती हूँ तेरे लिए फिर भी तुम मेरे संग बुरा बर्ताव करते हो क्यों आखिर…
जरा रुक-कुमकुम कुमारी
जरा रुक जरा रुक ऐ मनुष्य किसलिए यूं दौड़ लगाते हो । क्षणिक सुख पाने के लिए, क्यों अपना सर्वस्व गवाते हो। इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक………. जरा रुक विश्राम…
कलम-अवनीश कुमार
कलम मैं जिसके हाथ बस जाऊँ उसके मैं भाग्य बनाऊँ। मैं हूँ बड़ी अनोखी चीज़ संशय इसमे करे न कोई लोग मुझे कई नामों से जानते कोई मुझे कलम, कोई…
मेरा बचपन-रीना कुमारी
मेरा बचपन बचपन के दिन भी क्या दिन थे। ऐसे अनुपम और अनुठे वो दिन थे। बचपन के दिन भी क्या दिन थे। दादा-दादी मम्मी-पापा के क्या प्यार मिले थे,…