सूरज दादा – अमरनाथ त्रिवेदी

सूरज दादा   सूरज दादा, तुम प्रकाश फैलाते हो। गर्मी में तुम बड़े सवेरे आते, जाड़े  में  क्यों इतनी  देर  लगाते हो ? पर शाम में  जल्द  ही  तुम कहीं  छुप जाते …

माँ बिना जहाँ भी कुछ नहीं – अवनीश कुमार

  माँ तेरा वो दुलारना तेरा वो पुचकारना तेरा वो लोरी सुनाना तेरा वो घिस-घिस बर्तन माँजना उससे निकले मधुर संगीत सुनना तेरा वो प्यार से डाँटना कभी चुप रहकर…

शिक्षा की ज्योति जलाने वाले- अमरनाथ त्रिवेदी

साथ मिलकर चलें, हम मिलकर रहें, एक  दिन मंजिल हमें जरूर मिल जाएगी। साथ मिलने और चलने से  ताकत  बढ़े, अरमानों को  निश्चित  पंख लग जाएँगे। कदम ही कदम  यूँ …

शिक्षा की ज्योति जलाने वाले- अमरनाथ त्रिवेदी

साथ मिलकर चलें, हम मिलकर रहें, एक  दिन मंजिल हमें जरूर मिल जाएगी। साथ मिलने और चलने से  ताकत  बढ़े, अरमानों को  निश्चित  पंख लग जाएँगे। कदम ही कदम  यूँ …

स्वच्छता हमारा मूलमंत्र – अमरनाथ त्रिवेदी

स्वच्छता  हमारा  मूलमंत्र है, यह शरीर का मजबूत तंत्र है। सबसे  यही अनुरोध  करें हम, स्वच्छ रहने का यत्न करें सब। हम अपने हाथों  की करें सफाई, मम्मी  तभी  देगी …

बच्चों जीवन को सादगी से अपनाना- रुचिका

  बच्चों तुम अपनी शरारतें बचा लेना, छोटी-छोटी बातों पर रूठना फिर पल में मान जाना और दिल खोल मुस्कुरा लेना। वो किसी को रोते देख रोना, किसी के खुशी…

चाचा नेहरू – रामकिशोर पाठक

  उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में, किलकारी गूँजी आनंद भवन में। अठारह सौ नवासी का साल, चौदह नवंबर को जन्में लाल। प्रारंभिक शिक्षा अपने परिवेश में, फिर ट्रिनिटी पढ़ने गए…