शिक्षक क्या है?

शिक्षक क्या है? ज्ञान का दीपक जलाने वाला, तीसरी आँख का दाता, सही दिशा दिखाने वाला। बच्चे उसे लेकर चलते, जीवन का लक्ष्य खोजते, क्या करना, क्या सोचना, संस्कारों की…

उम्मीदों का फूल खिलाने सावन आया- कुण्डलिया – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

उम्मीदों का फूल खिलाने सावन आया: कुंडलिया “”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””‘”” आया सावन झूमकर, हर्षित हुए किसान। ‌हरी-भरी यह भूमि हो, यही हमारी आन।। यही हमारी आन, सदा गुण ऊर्जा भरिए। रिमझिम सौम्य…

मित्रता रूपी कमल हैं खिलते – अमरनाथ त्रिवेदी

मित्रता रूपी कमल हैं खिलते मित्रता  की   भी    अलग    जुबानी , बोले समयानुसार    कटु  मृदु  बानी। कटु  बानी  भी  मित्र के भले के होते , इससे मित्र कभी सही  दिशा…

कलम का सिपाही- मुक्तक – राम किशोर पाठक

कलम का सिपाही- मुक्तक कलम का कोई सिपाही है कहा। मुफलिसी आटा गिला करता रहा।। चाँद तारे रौशनी करते रहें। राय धनपत जुगनुओं को हीं गहा।।०१।। निर्मला सेवासदन ने कुछ…

जिसको मित्र बनाया है – लावणी छंद गीत – राम किशोर पाठक

जिसको मित्र बनाया है – लावणी छंद गीत आँख खोलकर इस भूतल पर, ज्यों हमने मुस्काया है। रिश्ते नाते हमने जग में, खुद पर खुद ही पाया है।। सबने बतलाया…

दोहावली- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

दोहावली “””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” बहें भावना में नहीं, कभी सहजता भाव। हीन कलुषता त्याग कर, बनें कर्म की नाव।।०१ भावों में भीगें सदा, मत बह जाएँ आप। धैर्य भाव के ज्वार की,…

सपने को साकार करें हम – अमरनाथ त्रिवेदी

सपने को साकार करें हम गलत बातों में कभी  नहीं पड़ेंगे, अपने  सपने को  साकार करेंगे । हर पल चिता छोड़ हम चिंतन को ध्याएँ , हर  मुश्किल  से चिंतन…

बचपन अपना – प्रहरणकलिका छंद – राम किशोर पाठक

बचपन अपना – प्रहरणकलिका छंद हरपल सबसे मिलकर कहते। हम-सब अपने बनकर रहते।। बरबस कुछ भी कब हम करते। सुरभित तन से मन सब हरते।। बचपन अपना अभिनय करता। बरबस…

हमें तरु-मित्र बनना होगा- राम किशोर पाठक

हमें तरु-मित्र बनना होगा नया सोपान गढ़ना होगा। हमें तरु-मित्र बनना होगा।। दादा के रोपें पेड़ों से, हमने है कितने काम लिए। ठंडी छाँव संग फल खाकर, झूला भी हम-सब…