सदाचार कुछ बचपन के – अमरनाथ त्रिवेदी

  सदाचार  कुछ बचपन  के  होते, इसे अपनाकर हम अवगुण खोते। माता-पिता के कुछ  सपने होते, उसे पाने पर सब अपने होते। सारी दुनिया जल, माटी से गोल, दुनिया  में …

बदलते गाँव की सूरत – अमरनाथ त्रिवेदी

भारत  के गाँव अब सूने लगने लगे हैं । धड़ाधड़ दरवाजे पर ताले लटकने लगे हैं।। बच्चों की मस्ती है शहर घूमने की, बूढों की आह निकलती  गाँव छोड़ने की।…

नई राह गढ़ें भारत की – सुरेश कुमार गौरव

  आओ बच्चों अब चलें स्कूल, नहीं करें अब कोई भी भूल। शिक्षा है सबके लिए जरूरी, अशिक्षा है बिल्कुल गैर जरूरी।। ज्ञान की रोशनी जब फैलती, अंधकार की दुनिया…

मानव जीवन के निहितार्थ – अमरनाथ त्रिवेदी

माटी का  यह   बना  खिलौना, एक दिन माटी में मिल जाएगा। कोई नहीं  होगा हम  सबके संग, केवल धर्म-अधर्म  साथ  जाएगा। कुछ तो अच्छा कर  ले प्यारे, जो जीवन भर…

शिक्षा है संकल्प हमारा – सुरेश कुमार गौरव

  शिक्षा है संकल्प हमारा, ज्ञान का दीप जलाना है। अज्ञान तिमिर को हराकर नई राह दिखलाना है। शब्दों का मधुर संगीत, ज्ञान का अमूल्य आधार। शिक्षा से उन्नति पथ…

दोहावली- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

  मन में सोच-विचार कर, करिए नव संकल्प। जीवन में सद्भावना, कभी नहीं हो अल्प। दान-पुण्य की भावना, हो जीवन का मर्म। कष्ट मिटाकर दीन का, करिए सुंदर कर्म।। भरें…

सूरज दादा – अमरनाथ त्रिवेदी

सूरज दादा   सूरज दादा, तुम प्रकाश फैलाते हो। गर्मी में तुम बड़े सवेरे आते, जाड़े  में  क्यों इतनी  देर  लगाते हो ? पर शाम में  जल्द  ही  तुम कहीं  छुप जाते …

माँ बिना जहाँ भी कुछ नहीं – अवनीश कुमार

  माँ तेरा वो दुलारना तेरा वो पुचकारना तेरा वो लोरी सुनाना तेरा वो घिस-घिस बर्तन माँजना उससे निकले मधुर संगीत सुनना तेरा वो प्यार से डाँटना कभी चुप रहकर…

शिक्षा की ज्योति जलाने वाले- अमरनाथ त्रिवेदी

साथ मिलकर चलें, हम मिलकर रहें, एक  दिन मंजिल हमें जरूर मिल जाएगी। साथ मिलने और चलने से  ताकत  बढ़े, अरमानों को  निश्चित  पंख लग जाएँगे। कदम ही कदम  यूँ …