दादा और पोते के संवाद दादा यहां तू कैसे आए, कौन ले आया तुमको। तुम बिन रहे उदास सदा, क्या एहसास है तुमको। मेरा बचपन कट जाता था, खेल-खेल कर…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
मैं प्रचण्ड प्रबला हूँ-मनु कुमारी
मैं प्रचण्ड प्रबला हूँ मैं अबला नहीं ! प्रचण्ड प्रबला हूँ। मैं ब्रह्मचारिणी और पतिव्रता, कहो शिव की वामांगी या जनक सुता। मैं प्रेम की जननी, हूँ जगत वंदिनी ,…
ईश्वर का वरदान है बेटी-ब्यूटी कुमारी
ईश्वर का वरदान है बेटी बेटी हूं तो क्या हुआ क्यों करते हो भेदभाव? मुझे धरा पर आने दो अवसर का लाभ उठाने दो वह करके मैं दिखाऊंगी दुनिया वाले…
एक बेटी के मन की व्यथा-सुरेश कुमार गौरव
एक बेटी के मन की व्यथा हे समाज के कर्णधार! सदियों से मुझे पढ़ने की मनाही है लिंगभेद और भेदभाव की यह तो सदियों पुरानी कहानी है मैं भी पढ़ना…
वल्लभ भाई पटेल-अश्मजा प्रियदर्शिनी
वल्लभ भाई पटेल जिनकी प्रतिभा से गौरवान्वित देश हमारा हिन्दुस्तान। ऐसे प्रखर वो राजनेता, जननायक थे वो महान। अपने कृतित्व से बने भारत माता की शान। आजादी के दीवाने स्वतंत्रता…
नारी-सोनी कुमारी कुशवाहा
नारी नारी सृष्टि का आधार। नारी से ही है जगत का कल्याण।। नारी बिना सूना है, ये सारा संसार। बिना नारी चले न एक भी काम।। प्रेम, दया की मूरत…
पेड़-पौधे हैं जरुरी-सुरेश कुमार गौरव
पेड़-पौधे हैं जरुरी धरती पर पेड़-पौधे को हमेशा ही उगाईए जीवन पारिस्थितिक तंत्र को भी बचाईऐ ! 🌲 देते फल-फूल, औषधि, जरुरी जड़ी-बूटियां आक्सीजन देती है इसे अपना मित्र बनाईए!…
दिनकर की धड़कन-कुमारी निरुपमा
दिनकर की धड़कन परिवेश गुलामी शोषण का दौर अशिक्षा और अंधविश्वास का त्राण दिलाने आए दिनकर जी यहां अपने संवेगधर्मी काव्य धारा से मिली प्रेरणा कबीर संस्कार तुलसी का छायावाद…
रिश्तों का मेला-मनु कुमारी
रिश्तों का मेला सबसे सुंदर, सबसे मनहर, होता यह रिश्तों का मेला, मिलजुल कर सब हँसते-गाते, प्यार बाँटते जश्न मनाते, कोई न रहता यहाँ अकेला। रिश्तों का यह अनुपम मेला……
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक-सैयद जाबिर हुसैन
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक एक से तीन, तीन से पांच, पांच से वर्ग एक। इसी में उलझता-सुलझता रहता है।। एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक। व्यथा न कहना…