देखो खो रहा बचपन हो गई हैं गालियां वीरान, ना करते अब बच्चे परेशान, ना टूटते अब घरों के शीशे, ना डंडा ले दादा दौड़ते पीछे, चार दीवारों…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
सम्मान करो-विजय सिंह नीलकण्ठ
सम्मान करो सम्मान करो सम्मान करो बड़ छोटों का सम्मान करो नर नारी हो या बाल सखा पूरे सबके अरमान करो। गर मात पिता जी क्रोधित हो उनकी बातों का…
उठो उठो सुबह हुई-रानी सिंह
उठो उठो सुबह हुई सुबह-सुबह दादी क्यों ? चिड़िया खिड़की पर आ जाती है आ जाती है तो आ जाती है शोर क्यों इतना मचाती है ? उछल-कूद करती है…
बस कुछ दिनों की बात है-पंकज कुमार
बस कुछ दिनों की बात है पल पल वो जाता गया हमने ख़ुशियाँ मनानी शुरू कर दी दिल को वो धड़काता गया हमने ख़ुशियाँ मनानी शुरू कर दी। घर की…
आओ बचाएं पानी-संगीता कुमारी सिंह
आओ बचाएं पानी मैं हूंँ तुम्हारी बूढ़ी नानी, आओ सुनाऊं तुम्हें कहानी, मेरी कहानी में है पानी, पानी जीवन का आधार, इसके बिना सूना संसार। ठोस, द्रव और गैस रूप…
पर्दा-धीरज कुमार डीजे
पर्दा एक पर्दा खिड़की दरवाजों पर लगता है अजनबी लोगों से खुद को छुपाने के लिए। एक पर्दा घूंघट का होता बड़े लोगों से अपने संस्कार बताने के लिए। एक…
परोपकार-मनु कुमारी
परोपकार एक थी रानी, बड़ी है मार्मिक उसकी कहानी, रानी के पास सबकुछ था, धन-दौलत रूपये पैसे, बंगला गाड़ी, सोने चांदी, पद प्रतिष्ठा, ऐशोआराम, सुख के थे साधन तमाम, फिर…
मेरी बगियाा-संध्या राय
मेरी बगिया मेरे छत की छोटी बगिया, फूल खिले हैं इनमें प्यारे। देख के इनके प्यारे मुखड़े, मन आनन्दित हो जाता है। ये पौधे है जीवनदायी, इनकी सांसो से है…
किसान-मनोज कुमार दुबे
किसान धरा के कठोर तल को चीर जो हरियाली लाये, अपनी मेहनत से अनाज उगाता है वो किसान। खुद भूखा रह खेतों में जो काम करे दिन रात, पशु पक्षियों…
मानव-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
मानव यह मानव जीवन पाकर भी नहीं किया कोई परोपकार है। मोह, माया में लिपटा रहा, यह मानव तन बेकार है।। सुन्दर तन अभिमान में फूला रहा दिन रात। किसी…