जिंदगी का सार-संगीता कुमारी सिंह

जिंदगी का सार यूं ही कभी आसमाँ को निहारते, देखा मैंने, शाम के धुंधलके में, चाँद का निकलना, शुभ्र, धवल, चमकता चाँद, आभा बिखेरता किसी, देवता के समान, यूं ही…

तन माटी का एक खिलौना-रानी सिंह

तन माटी का एक खिलौना जन्म-मरण का फेरा यारों चलता बारंबार यहाँ तन माटी का एक खिलौना टूटा कितनी बार यहाँ। लिया जन्म जो मृत्युलोक में उसको तो जाना होगा…

बचपन-प्रियंका दूबे

बचपन जीवन का आरंभ है ये भविष्य की बुनियाद है ये  बचपन है जिसका नाम नहीं है सबके लिए आसान। स्वपनिल आँखो में सुन्दर जीवन की आस लिए, नन्हे कदमों…

दीपक-नूतन कुमारी

दीपक मनन-चिंतन करों बच्चों, यह दीपक कैसे जलता है, फ़िज़ा को यह करें रौशन, तले अंधेरा रहता है। हरेक मौसम, हरेक बेला, तमस को दूर करता है, तिमिर को शोख़…

हे वसुधा तूझे शत शत प्रणाम-नरेश कुमार “निराला”

हे वसुधा तूझे शत-शत प्रणाम भू, भूमि, क्षिति, धरणी, धरित्रि ये सब धरा के पर्यायवाची नाम, वसुंधरा से हमें मिलती है जीवन वेदों ने माना इसे माँ के समान हे…