शिक्षा व्यवस्था कैसी हो? कैसी हो शिक्षा व्यवस्था? करते हैं आज हम चर्चा, न कठोर सजा का प्रावधान हो, न फीस शिक्षा में व्यवधान हो। न विद्यालय मीलों दूर हो,…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
साइकिल की सवारी- नरेश कुमार “निराला”
साइकिल की सवारी दो पहिये की अनोखी सवारी हर बच्चे को लगती है प्यारी, अनपढ़-ज्ञानी इसे सभी चलाते होती न किसी को कोई बीमारी। इसकी कीमत काफी कम है बिना…
न हो विकल-विजय सिंह नीलकण्ठ
न हो विकल गर कोई संकोच हो रुकना मुनाशिब पल दो पल कुछ समय पश्चात ही बाधाएँ स्वयं जाती निकल न हो विकल न हो विकल। जब भी कोई पाषाण…
चल लौट चलेंं-लवली कुमारी
चल लौट चलें चल लौट चलें अब गांव की ओर वो मिट्टी की सोंधी सोंधी सी खुशबू वो सरसों की बालि खेतों में लहराए फिर इठलाती हुई पक्षियों की पाँखें…
प्रकृति के साथ सीख-धीरज कुमार
प्रकृति के साथ सीख आज बताऊं मैं कुछ बात सीख भरी तुमको। किससे किससे सीख मिले जीवन में हमको। अगर सीखना चाहे तो मिल जाए सीख किसी से। चाहे पौधे-जानवर…
दोहा-विजय कुमार पासवान
दोहा यह पारस अनमोल रतन अपना हित करने से पहले, गैरों का भी हित सोचो। औरों की एक गलती से पहले, अपनी भी गलती देखो।। ध्यान रहे हो न तुमसे…
मच्छर से जीवन की सीख-विवेक कुमार
मच्छर से जीवन की सीख आओ सुनाऊं अपनी एक कहानी हूं मैं एक हाड़मांस का आदमी दिन भर नोटों की जुगत में रहता एक पल चैन की सांस न लेता…
माहवारी में स्वच्छता जरूरी-विजय सिंह नीलकण्ठ
माहवारी में स्वच्छता जरूरी माहवारी शारीरिक क्रिया है इसको तुम जानो बेटी बारह वर्ष बाद हर बेटी को बिल्कुल निश्चित ही है होती। देख इसे न घबराना है मात पिता…
बूढ़ा पेड़-एस. के. पूनम
बूढ़ा पेड़ मेरे कुछ हरियाली भरी शाखाएँ, तो कुछ ठूंठ होती मेरी डालियॉं, जो इस बात का गवाह है कि, बूढ़ा होकर भी जीने की आश नहीं छोड़ा। आज भी…
प्रकृति-अनुपमा अधिकारी
प्रकृति जब जब करोगे प्रकृति से छेड़छाड़, तब तब होगा सुन लो पृथ्वी पर नरसंहार! पेड़, पहाड़, नदियां सुंदर इससे खेल रहा मानव, कब तक सहे इसे प्रकृति इसलिए मचा…