भारत के प्राचीन ग्रंथ- गिरीन्द्र मोहन झा

वेद-वेदान्त की है उक्ति यही, सदा बनो निर्भीक, कहो सोsहं , उपनिषद कहते हैं, ‘तत्त्वमसि’, तुम में ही है ‘ब्रह्म’, तू न अकिंचन। ऋषि व्यास जी ने है रचा, शुभकर…

प्रेम भरी वाणी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

ठोस परिणाम हेतु काम आता अनुभव, बीमारों को पथ्य वास्ते, चावल पुरानी हो। जीवन में सोच कर कदम बढ़ाएं सदा, हर शुभ कार्य हेतु जोश व जवानी हो। निराशा-आलस्य नहीं…

दोहावली- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

पावन शुचिमय भाव रख, रचें नवल संसार। दे सबको नव वर्ष शुभ, खुशियों का उपहार।। द्वेष पुराना भूलकर, करिए नेक विचार। स्वागत हो नव वर्ष का, लेकर खुशी अपार।। खुशियाँ…

हिंदी का सम्मान – संजय कुमार सिंह

हिंदी का सम्मान कहां है,राष्ट्र का अभिमान कहां है। सिमटी हैअस्तित्व बचाने,ऐसा भी सौभाग्य कहां है।। घर की मुर्गी दाल बराबर,आन गांव का सिद्ध यहां है। अंग्रेजी बन बैठी रानी,…

शैक्षणिक गतिविधि – नीतू रानी

आओ बच्चों सब मिलकर करना आज शैक्षणिक गतिविधि, अगर थक जाएगा तो थोड़ा लेना पानी पी। चित्र बनाना, गाना, गाना नाचना, खेलना रहना खुश, आज पिलाएँगे तुम सबको हम ठंडे…

प्रकाश का परावर्तन – ओम प्रकाश

किरणें जो सतह से टकराए कहलाती हैं आपतित, टकरा कर लौटती किरणें कहलाती हैं परावर्तित.. हो सतह यदि चिकनी-समतल तो परावर्तन होता है नियमित, हो सतह रुखड़ी, उबड़-खाबड़ तो परावर्तन…

शिक्षा का उद्देश्य – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

पढ़ने से ज्ञान मिले दुनिया में मान मिले, जीवन से अज्ञान का मिटता है अंधकार। किए पर खेद करें किसी से न भेद करें, लोगों से करते सभी, सुसंस्कृत व्यवहार।…