भगवान विश्वकर्मा- अमरनाथ त्रिवेदी

सजी धजी यह धरा सुहानी , कितनी  प्यारी   लगती  है। विश्वकर्मा जी की कृपा मात्र से , यह  छटा  निराली  लगती   है।। अभियंता का काम जगत में, यह  अभियंता  ही …

यही हमारी हिन्दी है- संजीव प्रियदर्शी

.   जिस वाणी में बोल रहा हूँ यही हमारी हिन्दी है। माॅम- डैड संस्कार न अपना, माँ- बाबूजी हिन्दी है।। मिस्टर- मैडम कहना छोड़ो, श्री- महोदया हिन्दी है। आंटी…

मेरी नानी – मनु कुमारी

  कितनी प्यारी मेरी नानी रोज सुनाती हमें कहानी। परीलोक की सैर कराती, बात -बात में हमें हँसाती। मम्मी जब भी डाँट लगाती, नानी आकर हमें बचाती। मीठी-मीठी बातें कहतीं,…

दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

हिंदी अमरतरंगिनी, जन-जन की है आस। सच्चे उर जो मानते, रहती उनके पास।। हिंदी भाषा है मधुर, देती सौम्य मिठास। शब्द-शब्द से प्रीति का, छलक रहा उल्लास।। जन-जन की भाषा…

भारत की पूर्ण पहचान हिंदी – सुरेश कुमार गौरव

  हिन्दी बनी मातृभाषा, तब भाषा की जननी थी। इस समृद्ध भाषा ने देश को एक नई पहचान दी।। चहुँ ओर पहुंँचकर यह जन-जन की पुकार बनी। साहित्यकार, कवियों और…

प्यारी भाषा हिंदी – अमरनाथ त्रिवेदी

हिंदी  हैं  हम  वतन हैं , यह  हिंदोस्ता   हमारा। यह भाषा बहुत सरल है, यह  सौभाग्य है हमारा।। हिंदी  जितनी  सहज  है, उतनी  न  कोई   भाषा। विश्व रंगमंच पर ये…

हिंदी हमारी धड़कन है – एम.एस. हुसैन ‘कैमूरी’

  हिन्दी है पहचान हमारी यही हमारी धड़कन है। हिन्दी में ही मैं पला – बढ़ा इसी को सबकुछ अर्पण है।। कार्यालय या सचिवालय हो, हिन्दी में ही , उसके…

हिंदी अपनी धरोहर – मधु कुमारी

  गूँज रही हिंदी जग में हो रहा जय जयकार। देखे थे जो स्वप्न हमने, धीरे-धीरे हो रहा साकार। कवि की सुंदर वाणी हिंदी, निकाले मन के सारे विचार।। तुलसी-कबीर-रसखान…