जीवन की बगिया

।।जीवन की बगिया।। जीवन की बगिया में देखो फूल भी है और कांटे भी खड़ी धूप और अंगारे भी चलते जीवन की राहों में  जीवन के रंग निराले भी  …

वो तो हैं अलबेला

मेरी माँ ‘ मैं तो अलबेला, थोरा सा भोला, मासूम, नादान, हटेला । किस्मत का मारा रहूंगा अकेला खौटा सिक्का सा,पर हूँ तो तेरा मेरी माँ । खता कोई मेरी…

बोल बम कहने लगा- रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान ‘

बोल बम कहने लगा। आ गया सावन महीना, भाव में बहने लगा। त्याग ऑंचल का सहारा,बोल बम कहने लगा।। कौन लाया है यहाॅं पर, गुप्त है इस चित्र में। भाव…

मोबाइल की लत- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

बाल सृजन मनहरण घनाक्षरी छंद में हर दम रख साथ, जागते हैं दिन रात, बच्चों को मोबाइल का, विकल्प सुझाइए। सीमित हो उपयोग, नहीं हो दुरुपयोग, जीवन में हानि-लाभ, उन्हें…

योग करें – अश्मजा प्रियदर्शिनी

योग करें रखें नियमित सदाचरण,काया करें नीरोग। नित्य संयमित योगासन, जड़ से भागे रोग।। रवि देव को नित प्रभात, साक्षात नमन करें। अलौकिक रश्मि वाहिकाएंँ, रोग-व्याधि सब हरे।। शुद्ध खाद्य…

धरती की पुकार – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

धरती की पुकार बचपन ने जहाँ देखा खेतों- खलिहानों को, आज वहीं देख रहें उगते हुए मकानों को। हवा में हर तरफ धुएँ का गुब्बार है, साँस रुकने लगी हर…

मातृ दिवस – गिरीन्द्र मोहन झा

मातृ दिवस   पिता देखता है स्वप्न, मेरा बेटा नाम करे, शुभ-श्रेष्ठ काम करे, प्राध्यापक, जिलाधिकारी बने, हृदय में होता प्यार, मुख पर अमृतवचन, ये वचन देते पग-पग पर, शिक्षा…