मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

पावन है देवघर, भोलेनाथ की नगरी, आज सारी दुनिया में, बना सिरमौर है। किसानों में खुशहाली, खेतों बीच हरियाली, पावन सावन माह, चल रहा दौर है। अनेकों ही नर-नारी, रोज…

मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम

रंगभूमि कर्मभूमि, गोदान है वरदान, निर्मला मंगलसूत्र, दिया पहचान है। ईदगाह बूढ़ीकाकी, याद है पूस की रात, लिखे मानसरोवर, पढ़ना आसान है। भाषा-शैली है सरल, छिपाए हैं गूढ भाव, पाए…

मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम

रंगभूमि कर्मभूमि, गोदान है वरदान, निर्मला मंगलसूत्र, दिया पहचान है। ईदगाह बूढ़ीकाकी, याद है पूस की रात, लिखे मानसरोवर, पढ़ना आसान है। भाषा-शैली है सरल, छिपाए हैं गूढ भाव, पाए…

मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम

रंगभूमि कर्मभूमि, गोदान है वरदान, निर्मला मंगलसूत्र, दिया पहचान है। ईदगाह बूढ़ीकाकी, याद है पूस की रात, लिखे मानसरोवर, पढ़ना आसान है। भाषा-शैली है सरल, छिपाए हैं गूढ भाव, पाए…

दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

रिश्ते डोरी प्रेम की, आए मन को रास। नेह सत्य सद्भावना, लाती नवल उजास।। रिश्तों को शुचिमय सघन, रखें बनाए आप। अपने निश्छल नेह की, छोड़ें गहरी छाप।। अपनेपन के…

रूप घनाक्षरी- एस. के. पूनम

गर्भ से प्रथम रिश्ता, स्वीकार है माता-पिता, पदार्पण धरा पर, और खुशियाँ बटोर। आँचल में छुप कर, दुग्ध सुधा रसपान, लोभ से होकर मुक्त, शिशु फिर भी चटोर। नटखट नंदलाला,…

मनहरण घनाक्षरी- रामपाल प्रसाद सिंह

आज बच्चों में उल्लास, छुट्टी मिली है जो खास, चकचक ताजिया है, भरे जो विश्वास से। हिंदुओं का गाॅंव प्यारा, घर एक दो दुलारा, उनके त्योहार में ये, भरे प्रेम…