वासंती महक- सुरेश कुमार गौरव

पीली-पीली सरसों की बगिया, लहराए खेतों में नव अभिलाषा। पतझड़ की उदासी को छोड़कर, लाया वसंत हर्ष की परिभाषा। प्रकृति ने ओढ़ी हरियाली चूनर, फूलों में घुली नव मधुर मुस्कान।…

नवजीवन संचार- अपराजिता कुमारी

शीत शरद की हो रही विदाई धरती मानो ले रही अंगड़ाई ऋतुराज की हो रही अगुवाई प्रकृति बसंती रंग में रँगाई। गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प मंद-मंद…

वीणा की झंकार – रत्ना प्रिया

प्रकृति के मनोहर आँगन में, वसंत की बहार है, वागेश्वरी के वीणा की, गूँजती झंकार है। श्वेत पद्म व श्वेत वस्त्र हैं, श्वेत वाहन धारती, नीर-क्षीर-विवेक प्राप्त जो सदभक्तों को…

पढ़ने को स्कूल चलें हम- अमरनाथ त्रिवेदी

नित पढ़ने को स्कूल चलें हम, किसी बात पर नहीं लड़ें हम। जीवन में खुशियाँ भरने को, नित बस्ता लें स्कूल बढ़ें हम। हम नहीं करें कभी आना कानी, नहीं चलेगी अब…

सरस्वती वंदना – सुरेश कुमार गौरव

वीणा वादिनी, ज्ञान की देवी, माँ शारदे, करूँ मैं अर्पण। बुद्धि, विवेक, नीति की ज्योति,तेरे चरणों में समर्पण॥ बालक बनें सुमति के धानी, माँ, दो शुभ संकल्प विचार। सत्य, धर्म,…

बापू सदा अमर रहेंगे – सुरेश कुमार गौरव

सत्य अहिंसा का था नारा, जिसने भारत को सँवारा। बापू के दृढ़ संकल्पों से, फूटा स्वाधीनता की धारा। चलते थे नंगे पाँव मगर, इच्छा शक्ति अटल थी प्रखर। डांडी मार्च…

प्रभु तेरा ठिकाना कहाँ- संजय कुमार

प्रभु मैं परेशान,थके हाल हूँ क्योंकि तेरी दिल से आराधना करता हूँ पर तुझे कहाँ ढूढूँ ये तो बता अपनी जिज्ञासा बुझाने मैं तो परेशान हूँ। तेरे बड़े बड़े भक्तों…