तुलसी विवाह -नीतू रानी

विषय -तुलसी विवाह विवाह गीत मंगल मय दिन आजु हे छीयैन तुलसी के विवाह, परल नग्र हकार हे मन कमल फुलाओल। मंगलमय———2। द्वार पर आओल वर -बरियाती संग में वर…

निद्रा -बैकुंठ बिहारी

निद्रा कभी वास्तविक कभी काल्पनिक होती है यह निद्रा। कभी प्रसन्नता कभी निराशा देती है यह निद्रा। कभी साहस कभी भय देती है यह निद्रा। कभी सन्मार्ग कभी कुमार्ग दिखाती…

शब्द साधना…रामकिशोर पाठक

मरहठा माधवी छंद शब्द साधना अगर, सब्र साधना, स्वयं साधा करे।शिल्प देखिए सहज, और सीखिए, मौन बाधा हरे।।अर्थ जानिए सदा, हर्ष मानिए, गर्व आधा धरे।यत्न कीजिए सरल, आज कीजिए, ज्ञान…

नहीं विश्वाश होता है -रामपाल पाल प्रसाद सिंह

गीत(विधाता छंद) नहीं विश्वास होता है सनातन धर्म अभ्यागत,धरा को लहलहाया है। नहीं विश्वास होता है,कि मानव ने बनाया है।। रहा पूरब सदा उज्ज्वल,सभी यह ग्रंथ कहते हैं। कुटुंबी भाव…

मौन संगीत.. डॉ अजय कुमार “मीत”

मौन पड़ी मन वीणा को भावों ने झंकृत कर डालाजग उठे मौन से संगीत। कोरे कागज पर लेखनी दौड़ीआड़े-तिरछे अक्षर उभरेनिकल पड़े भावों से गीत। हृदय जाग भावों को छूआमिल…

आह्वान…विजय शंकर ठाकुर

सवेरे उठकर जल्दी जाओ,लोकतंत्र का पर्व मनाओ।       भैया भौजी, चाचा आओ,        दादा दादी को भी लाओ।मतदाता पर्ची को लेकर,कतार में सभी खड़े हो जाओ।         वोट प्रतिशत को तो बढ़ाओ,          संशय…

गर्व से हिंदू कहे तो..रामपाल प्रसाद सिंह

सुमेरु छंद (10,9)1222 12, 22 122 गर्व से हिंदू कहे तो। घटा घनघोर नभ,छाई कहाॅं से।गई थी लौट कर,आई कहाॅं से।।हजारों रश्मियाॅं, लाचार अब हैं।लगा सूरज जरा,बीमार अब हैं।। मगर…

किसानों की बेचैनी..जनेंद्र प्रसाद रवि

कार्तिक है बीत रही,रबी अभी लगी नहीं,आसमां में काले घन, दिखा रहे नैन हैं। खेतों में   तैयार  धान, आती नहीं खलिहान,तब तक हलधर, रहते बेचैन हैं। डर है बादल  कहीं-…