कहाँ गए वो दिन ? जिसकी दास्तां इतनी करीब थी । थे लोग प्यार में ऐसे पगे , जहाँ हर खुशियाँ नसीब थीं।। प्यार के हर बोल पर , मिटती…
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सुन री सखी- अवनीश कुमार
सुन री सखी! यदि वे मुझसे कह न पाते, लिख कर ही अपनी व्यथा छोड़ तो जाते। विश्वास के बंधन बाँध तो जाते, सखी काश ! वे मुझसे अपनी व्यथा…
वह मासूम-सी कली- मनु रमण
माता- पिता की दुलारी , भाई- बहनों की प्यारी। बड़ी मेहनत से थी वो पढ़ी , सब गुणों से खुद को गढ़ी। हासिल कर अपने लक्ष्य को , करना…
गीत- डॉ. स्वाराक्षी स्वरा
जीना है दुश्वार यहाँ अब, जीना है दुश्वार नाव फँसी है बीच भँवर में, कृष्ण लगा दो पार। मन की चिड़ियाँ ने सोचा था, पंख पसारूँगी। नील गगन जा इंद्रधनुष…
हे मुरारी! अब लाज बचाओ- विवेक कुमार
हे मुरारी! अब लाज बचाओ ये कैसी विपदा आन पड़ी, चहुंँओर अंधियारा छाया है, अपने ही बने भक्षकगण से, हे मुरारी! अब लाज बचाओ। सृष्टि की जननी का मान नहीं,…
दुनिया हैरान है – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
जीव-जंतु परेशान, बढ़ रहा तापमान, अब भी तो चेतो भाई, कहाँ तेरा ध्यान है? धरती सिमट रही, आबादी से पट रही, हरियाली बिना धरा, हो रही विरान है। गर्मी रोज़…
लोक-लज्जा- अवनीश कुमार
ख़ून से लथपथ एक काया. फ़ेंका गया था लहरताल मे उपजी झाड़ियों मे रो रहा था शिशु बिलख-बिलख कर ईश्वरीय संयोग हुआ कुछ ऐसा नव विवाहित युगल की बग्घी उतरी…
बेचारा मजदूर- नीतू रानी
बेचारा मजदूर दिनभर करता मजदूरी परिवार से रहता दूर, बेचारा मजदूर। कभी खेत में काम है करता कभी सड़कों पर धूप को सहता, जाड़ा गर्मी और बरसात को सहता है…
कैसी ये पहेलियाँ- एस.के.पूनम
मनहरण घनाक्षरी (कैसी ये पहेलियाँ) पतझड़ में पत्तियां, दूर चली उड़कर, शांत मौन नभचर,सूनी-सूनी डालियाँ। कलियाँ भी मुर्झाकर, बिखरी है सूख कर, मंडराता मधुकर,अब कहाँ क्यारियाँ। चमन उजड़ गया, उड़…
नारी क्यों मजबूर हुई – नीतू रानी
नारी क्यों मजबूर हुई जब उसपर अत्याचार क्रूर हुई, तभी नारी मजबूर हुई। नारी पर पुरुषों का बज्र प्रहार, नारी खाती रही पुरुषों की मार। नारी पर बदनामी की दाग,…