तुम मुझको नारी रहने दो… डॉ स्वराक्षी स्वरा

गीततुम मुझको नारी रहने दोअपनी अधिकारी रहने दो ।। सत्ता का लोभ नहीं मुझकोन  दौलत  की  ही चाहत है पैरों   के  बंधन   तोड़  मेरे निर्बन्धता   में    राहत    है चालें तेरी…

भावुक हूं मैं.. डॉ स्वराक्षी स्वरा

हां,मैं भावुक ही तो हूंतभी तो सह नहीं पातीहल्की सी भी चोट,फिर चाहे वो शरीर पर हो    या कि लगे हों       दिल पर।। हां,मैं भावुक ही तो हूंतभी तो देख…

दुनिया हैरान है – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

जीव-जंतु परेशान, बढ़ रहा तापमान, अब भी तो चेतो भाई, कहाँ तेरा ध्यान है? धरती सिमट रही, आबादी से पट रही, हरियाली बिना धरा, हो रही विरान है। गर्मी रोज़…

लोक-लज्जा- अवनीश कुमार

ख़ून से लथपथ एक काया. फ़ेंका गया था लहरताल मे उपजी झाड़ियों मे रो रहा था शिशु बिलख-बिलख कर ईश्वरीय संयोग हुआ कुछ ऐसा नव विवाहित युगल की बग्घी उतरी…