राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में समर्पित है बालिका जागरण गीत – एक आहवान
बालिका जागरण
मन की है शांति बेटी,
परिवार की कांति है बेटी।
घर धाम बनाती है बेटी,
खुशियाँ फैलाती है बेटी।
अवनी है अम्बर है बेटी,
दिल की सिकंदर है बेटी।
सबका दुःख हरती है बेटी,
फिर भी क्यों डरती है बेटी।
अखिर क्यों डरती है बेटी,
बिन मौत क्यों मरती है बेटी।
सूटकेस में कटती हैं बेटी,
फ्रिज में क्यों सड़ती है बेटी।
माँ के कोख में मरती है बेटी,
अवनी बिन कटती है बेटी।
आई जब कभी धरा पर तो ,
दिन रात सुबकती है बेटी।
कोई कृष्ण कहाँ अब आएगा,
क्यों तेरी लाज बचाएगा।
रण भेरी का क्यों इंतजार,
तू ले कृपाण रण को संभाल।
नव जीवन को फिर गढ़ने को,
महि दुष्ट दलन फिर करने को।
स्वाभिमान नित रखने को,
तू शस्त्र उठा जीव रहने को।
तुझे काली भी बनना होगा,
हे चंडी रण करना होगा।
महिषासुर को कटना होगा ,
महि असुर मुक्त करना होगा।
डॉ स्नेहलता द्विवेदी
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार
