जरा रुक
जरा रुक ऐ मनुष्य किसलिए यूं दौड़ लगाते हो । क्षणिक सुख पाने के लिए, क्यों अपना सर्वस्व गवाते हो। इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक.......... जरा रुक विश्राम कर, अपने अंतर्मन का ध्यान कर। क्या लेकर आए थे, जिसके खोने का है डर? क्यों है तू इतना बेकल ? इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक...... जरा रुक विचार कर, अपने मोह का त्याग कर। खाली हाथ ही आए थे, खाली हाथ ही जाना है। तो क्यों सुबह शाम दौड़ लगाना है? इसलिये ऐ मनुष्य जरा रुक...... जरा रुक ध्यान कर, अपने कर्मों का अनुसंधान कर। अपना चरित्र निर्माण कर, मात पिता को प्रणाम कर , और गुरुजनों का सम्मान कर। इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक..... जरा रुक नमन कर, मातृभूमि का स्मरण कर। इशदेवो का वंदन कर, मानवों का अभिनंदन कर, और प्रकृति का संवर्धन कर। इसलिये ऐ मनुष्य जरा रुक....... जरा रुक विचार कर, देश के लिए कुछ त्याग कर। नूतन अनुसंधान कर, वसुधा का कल्याण कर, फिर यहां से प्रस्थान कर। इसलिये ऐ मनुष्य जरा रुक..... कुमकुम कुमारी मध्य विद्यालय बाँक जमालपुर, मुंगेर
0 Likes