सीखाते कुरान-गीता,
गुरुजन माता-पिता,
हमें ये जीवन नहीं, मिला है आराम को।
मजदूर किसानों को
मिलता विश्राम नहीं,
सुबह सबेरे जाग, चल देते काम को।
कोई काम छोटा-बड़ा
होता है खराब नहीं,
पर अधिकांश देते, महत्व तो दाम को।
अनुचित उचित का
हमेशा विचार कर,
कर्तव्य निभाएंँ सदा, ध्यान धर राम को।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
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