कलम पतवार है-अनुज कुमार वर्मा

कलम पतवार है 

मुसीबतों में जब, सब होते नतमस्तक,
तब कलम की ही होती दस्तक।
इसके चाहने वालों की लंबी कतार है,
ये कलम, कलम नहीं पतवार है।

सरस्वती का ये वरदान है,
चित्रगुप्त की शान है। जीवन का एतवार है,
ये कलम, कलम नहीं पतवार है।

सूर्य सी आभा है इसमें,
चाँद सी काया है इसमें।
कवियों का हथियार है,
ये कलम, कलम नहीं पतवार है।

इसने जो खींची लकीर,
किस्मत बदल लिए कई फकीर।
इससे बड़ा न कोई वीर,
गति इसके मानो, हो तीर।

जीवन की बाधाओं को अंतकर,
खुशीयाँ कई बिखेर जाता है।
कृतघ्नता को कृतज्ञ कर,
जीना उसे सिखलाता है।

कोड़े कागज में जो चलकर,
उसका मूल्य बढ़ा देता है।
अनपढ़ को साक्षर कर,
धनवान बना देता है।

तलवार से भी तेज जिसके धार है,
वो कलम, कलम नहीं पतवार है।

अनुज कुमार वर्मा
मध्य विद्यालय बेलवा, कटिहार

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