कौन कहते हैं बच्चे पढ़ते नहीं-आँचल शरण

Anchal

कौन कहते है बच्चे पढ़ते नहीं

कौन कहते है बच्चे पढ़ते नहीं,

पर सत्य तो ये है की हम उन्हें समझते नहीं।

जब बच्चे शुरू शुरू में विद्यालय आते है, तब सच तो ये है की वो माँ के आँचल और अपने परिवेश को भूलते नहीं।

उन्हें उस वक़्त कॉपी-किताब और विद्यालय के वातावरण भाते नहीं,

बस उनको तो माँ जैसा लाड़ और दोस्तों के खेल ही भाते है।

और हम उसे बगैर समझे डांट जाते है और कहते है बच्चे पढ़ते नहीं!

पर ये सच है हम उन्हें समझते नहीं
अब हमें अगला कदम बढ़ना होगा बच्चों को समझना होगा,

घर जैसा दोस्ताना माहौल बनाना होगा, ज्यादा उनका और कम अपना सुनाना होगा।

खेल-खेल में पढाना होगा, एक पाठ पर महीनों समय बिताना होगा! फिर मूर्त से अमूर्त की ओर लाना होगा।

तब आगे चलकर शिक्षा का महत्व बताना होगा।

बगैर मेहनत के तो कुम्हार भी मिट्टी से बरतन बनाता नहीं।

और हम बगैर उन्हें समझे कहते है बच्चे पढ़ते नहीं।

पर ये सच है की हम उन्हें समझते नही।

पर हम शिक्षक है जो बगैर ज्ञान के अलख जगाए हार मानते नहीं ।

आँचल शरण
प्रा. वि. टप्पूटोला बायसी
पूर्णिया बिहार

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