माँ अनमोल है
माँ तूँ अनमोल है,
तेरा न कोई मोल है।
मैं तो नादान था,
हर गम से अंजान था।
नाम मेरा है क्या,
ये तूने बताया।
माँ तूँ अनमोल है,
तेरा न कोई मोल है।
तेरी आस मैं,
तेरा विश्वास मैं।
तेरी आन मैं,
तेरी जान मैं।
तेरी ममता के सागर में,
सुबह और शाम मैं।
माँ तूँ अनमोल है,
तेरा न कोई मोल है।
तूने जो अच्छे कर्म किए,
भाग्य मेरे जिससे उज्ज्वल हुए।
बचपन के उस मर्म से,
मेरे रोम-रोम पुलकित हुए।
माँ तूँ अनमोल है,
तेरा न कोई मोल है।
तूँ जननी है मेरी,
प्रथम गुरु तूँ हीं मेरी।
तूँ जीवन की वो डोर है,
जिसका न कोई छोर है।
माँ तूँ अनमोल है,
तेरा न कोई मोल है।
माँ तुम ममता की हो क्यारी,
माँ तेरी छवि अति प्यारी।
माँ तुम मेरी जान हो,
माँ तुम सचमुच भगवान हो।
माँ तूँ अनमोल है,
तेरा न कोई मोल है।
स्वरचित् मौलिक रचना
अनुज वर्मा
मध्य विद्यालय बेलवा
कटिहार, बिहार