मंजिल
पथ की बाधाओं से डरकर
दुख की झंझाओं से थककर
हे पथिक ! तुम हार न जाना
बस अनवरत चलते जाना है
पहुँच मंजिल ही मुस्काना है।
पथ निर्जन औ राह कठिन है
संघर्षों भरे मुश्किल के दिन हैं
आशादीप तममय हुआ जो
देकर संबल उसे जलाना है
पहुँच मंजिल ही मुस्काना है।
है शूल प्रखर जीवन-समर में
है पग विदीर्ण संघर्ष-सफर में
पग-छालों को अपना मीत बना
पत्थर पर पुष्प खिलाना है
पहुँच मंजिल ही मुस्काना है ।
गिर जाओ गर जीवन-पथ में
उठ खड़े फिर होना तुम
हो दुख के चाहे बादल काले
चाहे अनगिन बाधा लंगर डाले
चीर के बादल हिम्मत शर से
रवि-सम नभ में खिल जाना है
पहुँच मंजिल ही मुस्काना है ।
अर्चना गुप्ता
अररिया बिहार
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