मुनिया
पढ़ेगी मुनिया बढ़ेगी मुनिया,
जग को रौशन करेगी मुनिया।
घरों की है लक्ष्मी, सहेजो सँवारो,
सफलता की सीढ़ी चढ़ेगी मुनिया।
ज़रा-सी उड़ानें भरे जो ज़माना,
परिंदों-सी फिर तो उड़ेगी मुनिया।
मिले जो इसे स्लेट हाथों में ग़र तो,
कलियों-सी फिर तो खिलेगी मुनिया।
उजाला करे इल्म की रोशनी से,
ससुराल में ना जलेगी मुनिया।
कराटे सिखा दो करे आत्मरक्षा,
सड़क पर कभी ना लुटेगी मुनिया।
छुड़ाकर कलम तुम मेहंदी न रचना,
पिता का सहारा बनेगी मुनिया।
निधि चौधरी
प्रार्थमिक विद्यालय सुहागी
किशनगंज बिहार
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