भक्ति भाव मन- वासुदेव छंद गीत पावन अब तन, करना है। भक्ति भाव मन, धरना है।। भोग रहे सब, कृत अपने। देख रहे बस, नित सपने।। पाप बोझ तज, मरना…
नेता के उपनाम -रामकिशोर पाठक
नेता के उपनाम- कहमुकरी इर्द-गिर्द मँडराते रहता। जुल्म-सितम सहने को कहता।। नखरा भी करता है प्रत्यक्ष। क्या सखि? साजन! न सखि! अध्यक्ष।।०१ बहलाता फुसलाता हमको। सपने खूब दिखाता हमको।। कहता…
साक्षात अमरनाथ है -जैनेंद्र प्रसाद रवि
साक्षात अमरनाथ है मनहरण घनाक्षरी छंद में चारों धाम घुम आया, कहीं नहीं मन भाया, तीर्थ राज बनकर, गुरुदेव साथ हैं। भाव पास कट गया, अंधकार मिट गया, जब से…
देव दया कर …रामकिशोर पाठक
वासुदेव छंद आश नया मन, सर्जन दो।देव दया कर, दर्शन दो।। भव भंजन तुम, कष्ट हरो।जीवन का दुख, नष्ट करो।।पाप हुआ अब, वर्जन दो।देव दया कर, दर्शन दो।।०१।। अविनाशी तुम,…
जाति-वर्ण लोकतंत्र पर भारी – राम किशोर पाठक
है लोकतंत्र की महिमा न्यारी। चलती जिससे संविधान प्यारी।। सबने बदली अब दुनियादारी। लूट रहे धन कहकर सरकारी।। लेकर सारे धन-बल की आरी। कुर्सी पाने की है तैयारी।। जनता बनती…
सामा गीत -नीतू गीत
सामा गीत तर्ज -दुल्हिन धीरे-धीरे चलियौ ससुर गलिया— सामा खेलूँ हे बहिना भैया के अंगना सामा कौने भैया जेता काशी बनारस कौने भैया जेता शहर पटना सामा बरका भैया जेता…
तुलसी विवाह -नीतू रानी
विषय -तुलसी विवाह विवाह गीत मंगल मय दिन आजु हे छीयैन तुलसी के विवाह, परल नग्र हकार हे मन कमल फुलाओल। मंगलमय———2। द्वार पर आओल वर -बरियाती संग में वर…
निद्रा -बैकुंठ बिहारी
निद्रा कभी वास्तविक कभी काल्पनिक होती है यह निद्रा। कभी प्रसन्नता कभी निराशा देती है यह निद्रा। कभी साहस कभी भय देती है यह निद्रा। कभी सन्मार्ग कभी कुमार्ग दिखाती…
गृह लक्ष्मी पत्नी – राम किशोर पाठक
गृह लक्ष्मी पत्नी – कुंडलिया लक्ष्मी है पत्नी सदा, सुखकारी लो जान।जिसको मैंने वर लिया, रखती सबका ध्यान।।रखती सबका ध्यान, वही लक्ष्मी है घर की।मेरा यह वरदान, नहीं पाऊँ अब…
निष्पक्ष चुनाव को -जैनेन्द्र प्रसाद
निष्पक्ष चुनाव को मनहरण घनाक्षरी छंद में कुशल हो चाहे मांँझी, चाहे नहीं चले आंँधी, छोटा सा भी एक छेद, डूबा देता नाव को। गोदामों में जमाखोरी, अथवा कालाबाजारी, हमेशा…