ज़िंदगी की परिभाषा कभी धूप तो कभी छांव है ज़िंदगी। कभी शहर तो कभी गाँव है ज़िंदगी। कभी खुशियाँ तो कभी गम है ज़िंदगी। कभी सुंदर सा सरगम है…
तू बन ऐसा दरिया-अंशु कुमारी
तू बन ऐसा दरिया तू बन ऐसा दरिया जो पत्थर को पिघला दे, तू कर ऐसे काम जो खुदा बना दे। तुझमें है जुनून तू ये कर के दिखा दे,…
युगपुरुष स्वामी विवेकानंद-मनु कुमारी
युगपुरुष स्वामी विवेकानंद गुरु सेवाकर जिसने अपने जीवन में था सबकुछ पाया, जीवनकाल में हीं जिसने मृत्यु के रहस्य को ढूंढ निकाला, निज मुक्ति से बढ़कर जिसने राष्ट्र सेवा को…
जीवन है अनमोल खजा़ना-एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
जीवन है अनमोल खजा़ना जीवन है अनमोल ख़ज़ाना इसे तुम बेकार मत गवांओ अगर है जीने की चाह तुम्हें कुछ अच्छा करके दिखाओ। दुनियां देगी सदा मिसाल तेरी तुम अपने…
आज की कविता-गिरिधर कुमार
आज की कविता संकोच कुछ नहीं है अब कहने में की हारने लगी है कविता कि मेरी कविता अब म्लान रूग्ण और बेजान हो गयी है। झूठ के उत्साह से…
बचपन-ब्रह्माकुमारी मधुमिता ‘सृष्टि’
बचपन अल्हड़ है, मदमस्त है आसमा, छूने की चाहत है। नदियों सी चंचल है पवन सी पागल है जानने को सबकुछ उत्कल है। आंखों में खुशी, होठों पे हंसी पल…
गुलाब-मधु कुमारी
गुलाब फूलों का राजा है गुलाब काँटो के बीच रहकर भी सदा मुस्कुराता है गुलाब। सुंदरता इसकी है निराली खुशबू इसकी प्यारी मतवाली सीख हमें ये देती नित पलपल मुश्किलों…
नजर आए-सुधीर कुमार
नजर आए माता पिता के रूप में मुझको चारो धाम नजर आए। जब मैं देखूं इन्हें सदा मुझको भगवान नजर आए। आते हैं जब भी ये सामने और न कुछ…
बेजुबान-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
बेजुबान जरा देखकर गाड़ी, चलाओ गाड़ीवान। तेरी लापरवाही से निकल जाता कितने बेजुबानों का प्राण। मारकर ठोकर उनको, तुम कर देते हो लहुलुहान। राह पर तड़पता छोड़, क्यों निकल जाते…
नशा मुक्ति अभियान-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
नशा मुक्ति अभियान अब तो नशा छोड़ो भाई, क्यों जीवन बिताए बेकार में? समाज भी तिरस्कार करेगा, नहीं होगी शांति परिवार में।। बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू, डाले डाका बनकर डाकू।…