ढूंढता हूं अवनीश कुमार

“ढूंढ़ता हूं” मैं माँ की सुनी माँग में उस दमकती सुंदर आभा — ‘सिंदूर’ की वह पावन आभा ढूंढ़ता हूं, जिसमें बसती थीं उसके जीवन की उजली सुबहें, जिससे उसके…

ज्योति-पर्व दीपावली- गीत

ज्योति-पर्व दीपावली- गीत हर्षित आज सभी नर-नारी, सुंदर सुखद तराना है। अगणित दीप जलाकर भू का, सारा तिमिर मिटाना है।। आज अमावस हार गया है, नहीं तिमिर टिकने वाला। फैला…

भुला नहीं हूं -बैकुंठ बिहारी

भूला नहीं हूं बाल्यावस्था की शरारत भूला नहीं हूं, माता-पिता की आंखों में प्रसन्नता के अश्रु भूला नहीं हूं, किशोरावस्था का उतार-चढ़ाव भूला नहीं हूं, काम, क्रोध, मद लोभ, मोह…

गोवर्धन- राम किशोर पाठक

गोवर्धन- पादाकुलक छंद आधारित गीत व्रज वनिता के वासी प्यारे। मोहन नख पर पर्वत धारे।। सुरपति जमकर जल बरसाए। व्रजवासी जिससे घबराए।। कान्हा बनकर खेवन हारे। मोहन नख पर पर्वत…

दीप रश्मियांँ- राम किशोर पाठक

दीप रश्मियाँ- गीत ज्ञान सत्य का हुआ नहीं तो, कहते हम अज्ञानी है। दीप रश्मियाँ जहाँ नहीं है, अँध की वहीं कहानी है।। एक अकेला किरण अगर हो, रहता तम…

दीप पर्व – मनहरण घनाक्षरी

दीप पर्व – मनहरण घनाक्षरी दीप पर्व अनुपम, आया हरने को तम, रहे नहीं कोई गम, दीप को जलाइए। करें गणेश वंदन, लक्ष्मी पूजन-अर्चन, हर्षित हो तन-मन, नवगीत गाइए। शुभता…