माँ की लाल साड़ीअलमारी के कोने में अब भी टंगी है वो लाल साड़ी,जिसमें बसती है माँ की मुस्कान — प्यारी, आत्मीय, सादगी से भरी।दीवाली की रात हो या छठ…
ढूंढता हूं अवनीश कुमार
“ढूंढ़ता हूं” मैं माँ की सुनी माँग में उस दमकती सुंदर आभा — ‘सिंदूर’ की वह पावन आभा ढूंढ़ता हूं, जिसमें बसती थीं उसके जीवन की उजली सुबहें, जिससे उसके…
ज्योति-पर्व दीपावली- गीत
ज्योति-पर्व दीपावली- गीत हर्षित आज सभी नर-नारी, सुंदर सुखद तराना है। अगणित दीप जलाकर भू का, सारा तिमिर मिटाना है।। आज अमावस हार गया है, नहीं तिमिर टिकने वाला। फैला…
कचरे की ढेर जैनेंद्र प्रसाद
कचरे की ढेर समसामयिक रचना सबको दे खुशहाली, चली गई ये दिवाली, बाजारों में जमा हुई, कचरे की ढेर है। जश्न पुरज़ोर होता, पटाखे की शोर होता, जागने से आंखें…
भुला नहीं हूं -बैकुंठ बिहारी
भूला नहीं हूं बाल्यावस्था की शरारत भूला नहीं हूं, माता-पिता की आंखों में प्रसन्नता के अश्रु भूला नहीं हूं, किशोरावस्था का उतार-चढ़ाव भूला नहीं हूं, काम, क्रोध, मद लोभ, मोह…
गोवर्धन- राम किशोर पाठक
गोवर्धन- पादाकुलक छंद आधारित गीत व्रज वनिता के वासी प्यारे। मोहन नख पर पर्वत धारे।। सुरपति जमकर जल बरसाए। व्रजवासी जिससे घबराए।। कान्हा बनकर खेवन हारे। मोहन नख पर पर्वत…
दिवाली है आईं – मनु कुमारी
दिवाली है आई दीप जलाओ दीप जलाओ दिवाली है आई घर आंगन में चहुंओर अब,खुशियाली है छाई। मैं तो लूंगी फुलझड़ियां ,तू पटाखे ले लो भाई। नाचो गाओ खुशी मनाओ…
दीप रश्मियांँ- राम किशोर पाठक
दीप रश्मियाँ- गीत ज्ञान सत्य का हुआ नहीं तो, कहते हम अज्ञानी है। दीप रश्मियाँ जहाँ नहीं है, अँध की वहीं कहानी है।। एक अकेला किरण अगर हो, रहता तम…
दीपों की गरिमा अमरनाथ त्रिवेदी
दीपों की गरिमा दीप उम्मीद की किरण है , जो सपनों को जगाती । दिल मे प्रकाश भरकर , मन मे उजास लाती । कभी नफरत नही सिखाती , जहाँ तक प्रकाश जाए…
दीप पर्व – मनहरण घनाक्षरी
दीप पर्व – मनहरण घनाक्षरी दीप पर्व अनुपम, आया हरने को तम, रहे नहीं कोई गम, दीप को जलाइए। करें गणेश वंदन, लक्ष्मी पूजन-अर्चन, हर्षित हो तन-मन, नवगीत गाइए। शुभता…