मेरी प्यारी गौरैया : बाल कविता आँगन में जब हँसी गूँजती, नन्हें पाँव दौड़ जाते, गौरैया संग बच्चे मिलकर, गीत खुशी के गाते। कभी तिनका लाए, कभी दाना चुगे नटखट…
धनतरेस रामकिशोर पाठक
धनतेरस – मनहरण घनाक्षरी धनतेरस है आया, लेकर धन की माया, बाजार धूम मचाया, हाट गुलजार है। करना है दीप-दान, यम को देते सम्मान, पूजन विधि विधान, सुंदर त्यौहार है।…
धनतरेस -रामपाल प्रसाद सिंह
धनतेरस। रोला छंद । पावन कार्तिक मास,स्वर्ग से सुंदर भाता। त्रयोदशी का योग,कृष्ण पक्ष अति सुहाता। प्रकट हुए धनदेव, ग्रंथ आदिम कहते हैं। देते शुभ सम्मान,सदा साधक रहते हैं।। धनतेरस…
ऋण बैकुंठ बिहारी
ऋण ऋण माता का, ऋण पिता का, ऋण भाई बहन का, ऋण प्रियजनों का।। ऋण मित्र का, ऋण शत्रु का, ऋण परिचित का, ऋण अपरिचित का।। ऋण समय का, ऋण…
मिलकर दीप जलाएँ – बाल गीत
मिलकर दीप जलाएँ – बाल गीत आओ खुशी मनाएँ। मिलकर दीप जलाएँ।। घना अँधेरा छाया। धन्य अमावस आया।। कहते सभी दिवाली। इसकी कथा निराली।। बच्चे हर्षित गाएँ। मिलकर दीप जलाएँ।।०१।।…
दीप जलाने आओ – राम किशोर पाठक
दीप जलाने आओ- गीत वैर को आज मिटाने आओ। दीप से दीप जलाने आओ।। द्वेष कोई अपनाना छोड़ो। भाव सारे बहकाना छोड़ो।। हाथ से हाथ मिलाने आओ। दीप से दीप…
पानी – गिरींद्र मोहन झा
पानी तू रंगहीन होती, फिर भी तेरे रंग अनेक,श्रेष्ठ विलायक बनकर तू कितनों को करती एक,आंखों का पानी, हो सबके आंखों में थोड़ा पानी,ऐसा कृत्य न कर कि होना पड़े…
तुमसे लगन लगी -जैनेंद्र प्रसाद रवि
तुमसे लगन लगी ग्वाल-बाल संग मिल, गोपियों के घर जाते, आदत थी छिपकर, माखन चुराने की। गांव की ग्वालन जातीं, यमुना के तीर जब, कदंब पे चढ़कर, वसन छिपाने की।…
उम्मीद का दिया अवधेश कुमार
उम्मीद का दिया : एक शिक्षक की दीपावली उम्मीद का दिया जलाता हूँ, जीवन को नया अर्थ देता हूँ। कुछ नया कर गुज़रने की चाह से, अपने अन्तर्मन को जगाता…
मर्द
क्या मर्द को दर्द नहीं होता ? …