समन्दर से दूर जा के कभी शंख नही मिलते बंधन से एहसासों को कभी पंख नही मिलते अपने एहसासों मे खुल कर नहाने के लिये पँछी रुपी तन को हवाओं…
कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला – अरविंद कुमार अमर
कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला, मन में यह प्रश्न कोंध रहा है? कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला। सजा -सजाया सुन्दर उपवन, नूतन निर्मल हो हर माला, ञ्यान मधू…
योग दिवस समारोह – अरविंद कुमार अमर
योग करें हम योग करें दूर सभी हम रोग करें, यह वरदान मिला जो हमको, इसका हम सदुपयोग करें । सुबह-सबेरे उठ जाना है आलस दूर भगाना है, तन-मन स्वस्थ…
मिट्टी से शीशे का सफर – कंचन प्रभा
आज युग कितना बदल गया है दीये की लौ बल्ब बन गई कभी हम पढ़ते थे लालटेन में लालटेन की लौ कल बन गई तरह तरह के बल्ब अब मिलने…
वहीं है कबीर – दया शंकर गुप्ता
जो निंदक को पास बिठाता है, जो अपना घर स्वयं जलाता है, जो पत्थर को पूज्य बताता है, जो खुदा को बहरा बुलाता है, इस अंधविश्वासी समाज में भी, जिसका…
आँगन के फूल – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
जग के आंखों के हैं तारे ये आँगन के फूल हमारे, इनके आगे फीका लगता है नील गगन के चांद सितारे। बच्चे होते हैं तितली जैसे इनकी शोभा होती न्यारी,…
दिवाली –
ईर्ष्या द्वेष का जो चारो ओर डेरा है, नफरतों का दिल में देखो बसेरा है, एक दूसरे से आगे निकलने के लिए, द्वंद चलता ये तेरा और ये मेरा है।…
बेटी:- अरविंद कुमार अमर
छै येहा धारना दूनिया के, बेटी पराई होते छै। पर बिना बेटियौ के जग में, तकदीर सब के सुतले छै। जब बेटी हीं नय होतै त, बेटा फेर कहाँ सेय…
पृथ्वी की है करुणा पुकार-अरविंद कुमार अमर
पृथ्वी की है करुणा पुकार–: पृथ्वी की है करूणा पुकार, सुन लो मनुष्य इसे बार-बार । महलों-दो महलों को बनाकर, हम पर मत डालो इतना भार। सभी वृक्षों को नष्ट…
धन्यवाद शिक्षक – कंचन प्रभा
शिक्षक हैं हमारे अभिमान हमारे लिए अनमोल उनके दिए ज्ञान जीवन विचारों का है वह सम्मान हमारे शिक्षक हैं हमारे अभिमान मिलजुल कर बढ़ाएं उनका मान उनकी बातों का हम…