पिता है तो घर है, जिसको पिता नहीं है वो घर बेघर है। पिता हैं तो रोटी है , मकान है,सम्मान है और भगवान है, पिता नहीं है तो सिर्फ…
शेक्सपियर सानेट शैली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य
पिता उम्मीद एक आस है। संतानों की दिव्य पहचान। परिवार अटूट विश्वास है। स्वाभिमान तो कभी अभिमान। कभी पिता निज अंस बिठाते सतत भरोसा एक आधार। अँगुलि पकड़कर सैर कराते…
पापा – अशोक कुमार
पापा जहान है, जग में महान है। उनपर मेरा, सब कुछ कुर्बान है।। स्वर्ग से भी सुंदर, पापा मेरी जान हैं। सारी जिंदगी मेरी, उनका है कर्जदार।। सारा दुख सहकर,…
प्रभु की महानता – जैनेंद्र प्रसाद रवि
पहाड़ों में हरियाली, मेहंदी फूलों में लाली, कलियों में सुगंध है प्रभु की महानता। चीनी की मिठास में हैं,भोजन व प्यास में हैं, जिसने भी स्वाद चखा,वह उन्हें मानता। तिनका…
मधुमास की घड़ी – एस.के.पूनम
काली कच लहराई, विन्यास निखर आई, हाथों में मेंहदी लगे,प्रतीक्षा में थी खड़ी। सोलह श्रृंगार कर, वरमाला डाल कर, साक्षी बने दीया-बाती,चरणों में थी पड़ी। सवार थे अश्व पर, धरा…
मेरा गॉंव – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति
आइए मेरे गाँव में, अजी बैठिए छांव में, प्रकृति के नजारे को, समीप से देखिए। समृद्ध खलिहान है, मेहनती किसान हैं, ताजे-ताजे उपज का, आंनद तो लीजिए। कोलाहल से दूर…
उसे नित्य सींचिए – एस.के.पूनम
विधा:-मनहरण घनाक्षरी कानन से वृक्ष कटे, शीत भरी छाया हटे, तप्त हुई वसुंधरा,नीर मत पीजिए। यत्र-तत्र कूडादान, चल पड़ा अभियान, गंदगी से मिले मुक्ति,निर्णय तो लीजिए। मेघपुष्प सूख रहे, जीव-जंतु…
मेरा अभिमान है पिता – जनेश्वर चौरसिया
कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता ……. कभी धरती तो कभी आसमान है पिता …. जन्म दिया है अगर मां ने जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता …..…
पिता – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
पितृ दिवस पर आज सभी, करते पितृ को याद। पाकर आशीष पितृ से,होते खुश औलाद।। मात-पिता के स्थान का,करता जो नित ध्यान। बिन पोथी के ज्ञान ही,मिलता उसे सम्मान।। रहता…
विश्व पितृ दिवस – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
दुनिया के रिश्ते नाते, जन्म से ही बन जाते, पिता की जगह कोई, कभी न ले सकता। देर शाम आते रोज, सबकी उठाते बोझ, पर मजबूत कंधा, कभी नहीं थकता।…