मौन है

  मौनम् कः अद्य दुःखितः? यस्य जीवनं योगः, संविधानम्, स्वर्वेदः च मौनम् अस्ति। साधना, सेवा, सत्सङ्गः अद्य सर्वेषु मौनम् अस्ति। तस्मात् ज्ञानस्य कुञ्जिका भवति भवतः मौनम्। ईर्ष्या, द्वेषः, कलः अद्य…

कष्ट – बैकुंठ बिहारी

कष्टबाल्यावस्था से ही यह माया,किशोरावस्था में भी, न छोड़ती किसी की काया,कभी कुछ खोने का कष्ट,कभी कुछ छूटने का कष्ट,कष्ट का है यह मायाजाल,सुख सुविधा का भी ऐसा ही मायाजाल,जिसे…

आओ मिश्रण को अलग करे- अवधेश कुमार

: विज्ञान कविताआओ मिश्रण को अलग करे,ये पहल सब मित्रों से करें ।क्योंकि मिश्रण में छिपा है विज्ञान ,इसमें छिपा है क्रमबद्ध विशेष ज्ञान ।जब कपूर और नमक हों संग…

चौसर – रुचिका

चौसर जिंदगी के चौसर पर हम रहेंबस एक मोहरेंचाल ऊपर वाला चलता रहा।कभी शह, कभी मात वह देताऔर दर्प इंसानों के मन मेंबढ़ता रहा। जिंदगी के चौसर पर हम रहेंबस…

धूप कहां देखती अपना घर- रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

मदिरा सवैया211-211-211-211=211-211-211-2 धूप कहाॅं दिखती अपना घर। काॅंप रही किरणें अब ऑंगन,देख प्रभा यह पस्त हुई।गर्म हवा अब भाग रही खुद,कोयल गाकर मस्त हुई।।काग बिना सजती गलियाॅं अब,धूप खिली दिन…

दस्तूर दुनिया की- विधाता छंद मुक्तक- राम किशोर पाठक

विधाता छंद मुक्तक जिसे रोना नहीं आया उसे कोई नहीं समझा।गमों के दौर से बोलो नहीं वह कौन जो उलझा।सदा सबको सहारा तो दिया लेकिन बताओ अब,वही खुद को सहारे…

शरद पुर्णिमा- राम किशोर पाठक

शरद पूर्णिमा- महामंगला छंद गीत स्वागत करती किरण, सोम देव मुस्कात। सुरभित शीतल शरद, मनभावन यह रात।। रजनी व्याकुल अजब, लगती अतिशय शांत। श्वेत रंग की वसन, व्योम दिखे कुछ…